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परिचय (Introduction)
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने के बाद भारत का कर ढांचा अब सरल और पारदर्शी हो गया है। 1 जुलाई, 2017 को जीएसटी लागू होने के साथ ही देश भर में एक एकीकृत कर प्रणाली स्थापित हो गई। विभिन्न उत्पादों और सेवाओं को विभिन्न जीएसटी स्लैब (0%, 5%, 12%, 18% और 28%) में रखा गया है।
आम जनता के दैनिक जीवन के लिए आवश्यक वस्तुएँ 0% जीएसटी स्लैब के अंतर्गत आती हैं। सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि ये आवश्यक वस्तुएँ सभी वर्गों के लिए आसानी से उपलब्ध हों और उन पर कोई कर न लगे।
इस पृष्ठ पर हम जानेंगे कि किन वस्तुओं को जीएसटी से छूट प्राप्त है, सरकार ने यह नीति क्यों लागू की और इसके क्या परिणाम होंगे।
GST का महत्व (Introduction)
- एक राष्ट्र, एक कर: GST से पहले अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग टैक्स लगते थे, जिससे भ्रम और लागत बढ़ती थी।
- कर प्रणाली में पारदर्शिता: GST ने टैक्स चोरी पर अंकुश लगाने में मदद की।
- व्यापार को सरल बनाना: अब सभी व्यापारी एक ही पोर्टल से GST से जुड़ी सभी प्रक्रियाएँ पूरी कर सकते हैं।
- जनकल्याण: कुछ आवश्यक वस्तुओं को 0% टैक्स दायरे में रखकर आम आदमी को राहत दी गई है।

भारत में 0% GST वाले सामान (Goods with 0% GST in India)
1. खाद्यान्न (Food Grains)
- गेहूं, चावल, मक्का, जौ आदि अनाज पर कोई GST नहीं लगता।
- यह कदम गरीब और मध्यम वर्ग को राहत देता है क्योंकि अनाज हर घर की मूलभूत ज़रूरत है।
2. ताज़ी सब्ज़ियाँ और फल
- सभी प्रकार की ताज़ी सब्ज़ियाँ और फल 0% GST स्लैब में आते हैं।
- इसका उद्देश्य लोगों को स्वस्थ भोजन सस्ते दामों पर उपलब्ध कराना है।
3. दूध और दुग्ध उत्पाद (बिना पैकेजिंग)
- ढीला दूध, दही, छाछ आदि पर GST नहीं लगाया गया है।
- पैकेजिंग और ब्रांडेड उत्पादों पर अलग-अलग दरें लागू होती हैं।
4. नमक (Salt)
- खाने का साधारण नमक पूरी तरह से GST मुक्त है।
- यह हर घर की आवश्यक वस्तु है और इसे टैक्स-फ्री रखना सरकार का बड़ा कदम है।
5. अंडा, मछली और मांस (ताज़ा)
- बिना पैकिंग वाले अंडे, मछली और मांस भी 0% GST कैटेगरी में आते हैं।
- इससे आम जनता की पोषण संबंधी ज़रूरतें पूरी करने में मदद मिलती है।
6. किताबें (Printed Books)
- शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए किताबों पर कोई GST नहीं लगाया गया।
- यह छात्रों और शैक्षणिक संस्थानों के लिए बड़ी राहत है।
7. शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएँ
- स्कूल की शिक्षा, कॉलेज फीस और हॉस्पिटल में मूलभूत स्वास्थ्य सेवाएँ GST मुक्त हैं।
- इससे शिक्षा और स्वास्थ्य सभी के लिए सुलभ बने।
8. हाथ से बने कुछ उत्पाद
- कुछ हस्तशिल्प और कुटीर उद्योग से बने उत्पाद भी 0% GST श्रेणी में आते हैं।
- इसका मकसद छोटे उद्योगों और ग्रामीण रोजगार को प्रोत्साहित करना है।
सरकार का दृष्टिकोण (Government’s View)
सरकार ने यह तय करते समय दो बातों पर जोर दिया—
- आवश्यक वस्तुओं पर टैक्स न लगे ताकि गरीब और मध्यम वर्ग प्रभावित न हों।
- लक्ज़री और गैर–जरूरी वस्तुओं पर ज्यादा टैक्स लगाकर राजस्व जुटाया जाए।
इस तरह GST प्रणाली संतुलित बनी, जहाँ गरीबों को राहत और सरकार को पर्याप्त राजस्व दोनों मिल सके।

उपभोक्ताओं को होने वाले लाभ (Benefits to Consumers)
- सस्ती ज़रूरी चीजें: आम जनता की थाली पर टैक्स का बोझ नहीं पड़ता।
- बढ़ती क्रय शक्ति: जब रोज़मर्रा के सामान टैक्स-फ्री मिलते हैं तो लोग अन्य वस्तुओं पर खर्च कर पाते हैं।
- स्वास्थ्य और शिक्षा की उपलब्धता: टैक्स-फ्री होने से ये सभी वर्गों के लिए आसानी से सुलभ रहते हैं।
व्यापारियों पर प्रभाव (Impact on Traders)
- छोटे व्यापारी और किसान 0% GST वस्तुओं की बिक्री पर टैक्स नहीं देते, जिससे उनका काम सरल होता है।
- उन्हें इन वस्तुओं पर GST रिटर्न फाइल करने की जटिलता से भी काफी राहत मिलती है।
चुनौतियाँ और सुधार की गुंजाइश (Challenges and Scope for Improvement)
- पैकेजिंग बनाम नॉन–पैकेजिंग दुविधा: कई बार उपभोक्ता समझ नहीं पाते कि कौन-सा उत्पाद टैक्स-फ्री है और कौन-सा टैक्स योग्य।
- हेराफेरी की संभावना: कुछ व्यापारी टैक्स योग्य वस्तुओं को 0% श्रेणी में दिखाकर चोरी कर सकते हैं।
- जागरूकता की कमी: अभी भी छोटे कस्बों और गांवों में GST की पूरी जानकारी नहीं है।
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निवारण (Redressal)
GST प्रणाली भारत के कर ढांचे में सबसे बड़ा सुधार है। इसका उद्देश्य न केवल कर प्रणाली को एकीकृत करना है, बल्कि आम जनता को राहत देना भी है।
सरकार ने अनाज, फल, सब्ज़ियाँ, दूध, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी ज़रूरी वस्तुओं और सेवाओं को 0% GST स्लैब में रखकर यह सुनिश्चित किया है कि बुनियादी आवश्यकताओं पर टैक्स का बोझ न पड़े।
यह कदम न केवल गरीब और मध्यम वर्ग के लिए राहतकारी है, बल्कि यह सामाजिक समानता और न्याय की दिशा में भी बड़ा प्रयास है।
अंततः, 0% GST श्रेणी सरकार की यह घोषणा करती है कि विकास और राजस्व जुटाने की प्रक्रिया में आम नागरिकों की बुनियादी ज़रूरतों की अनदेखी नहीं की जाएगी। यही कारण है कि GST को “जन-हितैषी कर प्रणाली” माना जाता है।