परिचय

चंद्र ग्रहण (Lunar Eclipse) एक महत्वपूर्ण खगोलीय घटना है, जो तब घटित होती है जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है और चंद्रमा पर पड़ने वाली सूर्य की रोशनी बाधित हो जाती है। भारतीय संस्कृति और ज्योतिष में चंद्र ग्रहण को विशेष महत्व दिया जाता है। लोग इसे धार्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण मानते हैं और इसके समय कई तरह की मान्यताओं का पालन करते हैं।

7 सितंबर 2025 को भी ऐसा ही एक चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है, जिसे लेकर लोग उत्साहित भी हैं और थोड़े चिंतित भी। इस ग्रहण को भारत में देखा जा सकेगा और ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार यह कई राशियों पर प्रभाव डालेगा। आइए विस्तार से जानते हैं कि यह ग्रहण कब लगेगा, कितने बजे शुरू होगा और इसका महत्व क्या है।

चंद्र ग्रहण 7 सितंबर 2025: समय और अवधि

खगोल विज्ञानियों के अनुसार, 7 सितंबर 2025 को लगने वाला चंद्र ग्रहण आंशिक (Partial Lunar Eclipse) होगा। भारत सहित एशिया, यूरोप, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया के कुछ हिस्सों से इसे साफ-साफ देखा जा सकेगा।

  • ग्रहण की शुरुआत: रात 08:12 बजे (भारतीय समय)
  • मध्य काल: रात 09:38 बजे
  • ग्रहण का अंत: रात 11:03 बजे
  • कुल अवधि: लगभग 2 घंटे 51 मिनट

इस दौरान चंद्रमा का कुछ हिस्सा पृथ्वी की छाया में ढक जाएगा, जिसे लोग नंगी आंखों से देख सकेंगे।

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चंद्र ग्रहण का वैज्ञानिक महत्व

वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए तो चंद्र ग्रहण एक सामान्य खगोलीय प्रक्रिया है। यह पूर्णिमा के दिन होता है, जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है। इस समय पृथ्वी की छाया (Shadow) चंद्रमा पर पड़ती है और ग्रहण का निर्माण होता है।

7 सितंबर 2025 का यह ग्रहण वैज्ञानिकों के लिए अध्ययन का विषय होगा। इस दौरान वे पृथ्वी और चंद्रमा की स्थिति, उनकी गति और अंतरिक्षीय घटनाओं का निरीक्षण करेंगे।

धार्मिक मान्यता और सूतक काल

भारतीय परंपरा में ग्रहण का धार्मिक महत्व भी है। ग्रहण के समय मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं और पूजा-पाठ रोक दी जाती है। माना जाता है कि ग्रहण का समय आध्यात्मिक साधना, जप और ध्यान के लिए उपयुक्त होता है।

  • सूतक काल की शुरुआत: ग्रहण शुरू होने से लगभग 9 घंटे पहले मानी जाती है।
  • यानी, 7 सितंबर को सुबह लगभग 11:12 बजे से सूतक काल शुरू हो जाएगा।
  • सूतक काल में मंदिरों में पूजा नहीं की जाती और भोजन-जल का सेवन वर्जित माना जाता है।

गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान घर के भीतर रहने और तेज वस्तुओं का प्रयोग न करने की सलाह दी जाती है।

ज्योतिषीय दृष्टि से प्रभाव

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, चंद्र ग्रहण का असर बारहों राशियों पर भिन्न-भिन्न रूप से पड़ता है।

  • मेष, सिंह और धनु राशि वालों के लिए यह ग्रहण शुभ फलदायी हो सकता है। उन्हें करियर और व्यवसाय में प्रगति के संकेत मिलेंगे।
  • वृषभ और कन्या राशि के जातकों को इस समय थोड़ी सतर्कता बरतने की जरूरत है। सेहत पर ध्यान दें और अनावश्यक विवादों से बचें।
  • मिथुन और मकर राशि के लिए यह ग्रहण मिश्रित परिणाम देगा।
  • कर्क और मीन राशि वालों के लिए यह ग्रहण मानसिक शांति और परिवारिक सुख में कुछ उतार-चढ़ाव ला सकता है।

हालांकि ज्योतिषीय प्रभाव व्यक्ति की कुंडली और ग्रह-स्थिति पर निर्भर करता है, इसलिए सामान्य भविष्यवाणी को मार्गदर्शन के रूप में ही लेना चाहिए।

ग्रहण के समय क्या करें और क्या न करें

क्या करें:

  1. मंत्र जाप और ध्यान करें।
  2. तुलसी के पत्ते जल और भोजन में डालकर रखें।
  3. ग्रहण खत्म होने के बाद स्नान कर भगवान की आराधना करें।
  4. दान और पूजा-पाठ करें।

क्या न करें:

  1. ग्रहण के दौरान भोजन-पानी का सेवन न करें।
  2. मंदिरों में पूजा न करें।
  3. नुकीली वस्तुओं का प्रयोग करने से बचें।
  4. गर्भवती महिलाएं ग्रहण देखने से परहेज करें।

चंद्र ग्रहण का ज्योतिषीय उपाय

ग्रहण को अशुभ प्रभाव कम करने के लिए कई उपाय सुझाए जाते हैं:

  • ग्रहण के दौरान महा मृत्युंजय मंत्र या गायत्री मंत्र का जाप करें।
  • ग्रहण के बाद गरीबों को भोजन और वस्त्र दान करें।
  • पीपल या तुलसी के पौधे में जल अर्पित करें।

इन उपायों को करने से मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।

निष्कर्ष

7 सितंबर 2025 का चंद्र ग्रहण भारत सहित कई देशों में दिखाई देगा। यह खगोलीय दृष्टि से बेहद खास होगा, जबकि धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से भी इसका महत्व कम नहीं है। इस ग्रहण का समय रात 08:12 बजे से 11:03 बजे तक रहेगा।

जहां वैज्ञानिक इसे एक प्राकृतिक घटना मानते हैं, वहीं धार्मिक परंपराओं में इसे आध्यात्मिक साधना का विशेष अवसर माना जाता है। ऐसे में लोग अपनी मान्यताओं और आस्था के अनुसार इसका पालन कर सकते हैं।

इस ग्रहण को देखने वाले लोगों के लिए यह अनुभव यादगार होगा और ज्योतिषीय दृष्टि से यह कुछ राशियों के लिए शुभ तो कुछ के लिए सतर्क रहने का संकेत देगा।