This Week’s Explainer: अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एक छोटा-सा बयान कई बार बड़े भूचाल ला सकता है। हाल ही में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक ऐसा ही बयान दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि यदि पाकिस्तान के व्यापारिक हितों की रक्षा कfरनी पड़े, तो वे भारत के साथ संबंधों का “त्याग” करने पर भी विचार कर सकते हैं। अगर भारत के साथ मिलकर ऐसी कोई साजिश की जाती है तो हमें उस पर भी कार्रवाई करने की जरूरत है इस कथन ने न केवल भारत-अमेरिका संबंधों पर बहस छेड़ दी है, बल्कि आने वाले अमेरिकी चुनावों और दक्षिण एशिया की कूटनीतिक रणनीति पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
ट्रम्प का बयान और उसका संदर्भ
डोनाल्ड ट्रम्प अपने विवादित और सीधी बात कहने वाले स्वभाव के लिए जाने जाते हैं। हाल ही में दिए गए इंटरव्यू में उन्होंने पाकिस्तान और भारत को लेकर ऐसा बयान दिया जो चर्चा का विषय बन गया। ट्रम्प ने कहा कि अमेरिका को अपने व्यापारिक हितों और साझेदारियों को प्राथमिकता देनी चाहिए, और यदि पाकिस्तान को फायदा पहुँचाने के लिए भारत से दूरी बनानी पड़े तो यह भी संभव है।
यह बयान ऐसे समय आया है जब भारत-अमेरिका संबंधों को लगातार “रणनीतिक साझेदारी” के तौर पर मजबूत बताया जा रहा है। दोनों देशों ने रक्षा, तकनीकी, शिक्षा और ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में बड़े समझौते किए हैं। ऐसे में ट्रम्प का यह कथन एक विरोधाभासी संदेश देता है।

भारत-अमेरिका संबंधों की मजबूती
पिछले दो दशकों में भारत और अमेरिका के बीच संबंध काफी प्रगाढ़ हुए हैं। 2008 का सिविल न्यूक्लियर डील, रक्षा सहयोग, तकनीकी साझेदारी और इंडो-पैसिफिक रणनीति इस रिश्ते की नींव को मजबूत बनाते हैं। आज अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है।
2023-24 के आँकड़ों के अनुसार, भारत और अमेरिका के बीच व्यापार 200 अरब डॉलर से अधिक हो चुका है। टेक्नोलॉजी, आईटी सेवाएँ, रक्षा उपकरण और फार्मा उद्योग इस रिश्ते की रीढ़ हैं। इसके अलावा, भारतीय प्रवासी अमेरिकी अर्थव्यवस्था और राजनीति में अहम भूमिका निभाते हैं।
ऐसे में ट्रम्प का बयान यह सवाल खड़ा करता है कि क्या वाकई अमेरिका कभी पाकिस्तान के हित में भारत से दूरी बना सकता है?
पाकिस्तान और अमेरिका का रिश्ता
पाकिस्तान लंबे समय तक अमेरिका का सहयोगी रहा है, खासकर कोल्ड वॉर और आतंकवाद के खिलाफ युद्ध (War on Terror) के दौर में। अमेरिका ने पाकिस्तान को अरबों डॉलर की सैन्य और आर्थिक सहायता दी। लेकिन हाल के वर्षों में यह रिश्ता कमजोर हुआ है।
अमेरिका का मानना है कि पाकिस्तान ने कई बार आतंकवादियों को पनाह दी है और अफगानिस्तान में अमेरिकी नीतियों को नुकसान पहुँचाया है। दूसरी ओर, पाकिस्तान को लगता है कि अमेरिका ने उसे “त्याग” दिया है और भारत को तरजीह दी है।
ट्रम्प के इस बयान से पाकिस्तान को राहत मिल सकती है क्योंकि यह उसे फिर से अमेरिकी राजनीति के केंद्र में लाता है। लेकिन सवाल यह है कि क्या केवल पाकिस्तान के व्यापारिक हित अमेरिका के लिए इतने अहम होंगे कि वह भारत जैसी उभरती हुई आर्थिक शक्ति से दूरी बना ले?

चुनावी राजनीति और ट्रम्प की रणनीति
डोनाल्ड ट्रम्प इस समय अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव 2024 की तैयारी कर रहे हैं। उनके बयानों में अक्सर चुनावी रणनीति झलकती है। अमेरिका में बड़ी संख्या में पाकिस्तानी और दक्षिण एशियाई प्रवासी रहते हैं। यह बयान कहीं न कहीं उस वोट बैंक को साधने का प्रयास भी हो सकता है।
इसके अलावा, ट्रम्प का “अमेरिका फर्स्ट” वाला दृष्टिकोण हमेशा से रहा है। वे मानते हैं कि अमेरिका को अपने आर्थिक और व्यापारिक हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी चाहिए। इसीलिए उन्होंने भारत समेत कई देशों के साथ व्यापारिक समझौतों पर दबाव बनाने की कोशिश की थी।
भारत की प्रतिक्रिया
भारत सरकार ने इस बयान पर आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन विदेश नीति विशेषज्ञ मानते हैं कि यह केवल चुनावी बयानबाज़ी है। वास्तविकता यह है कि अमेरिका भारत को केवल एक व्यापारिक साझेदार ही नहीं, बल्कि चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने के लिए भी जरूरी मानता है।
भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था, रक्षा क्षमताएँ और वैश्विक मंचों पर सक्रियता अमेरिका के लिए अहम हैं। वहीं पाकिस्तान आज भी आर्थिक संकट से जूझ रहा है और IMF की मदद पर निर्भर है। ऐसे में अमेरिका के लिए भारत को छोड़कर पाकिस्तान पर दांव लगाना व्यावहारिक नहीं होगा।
विशेषज्ञों की राय
कूटनीति विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रम्प के बयान को ज्यादा गंभीरता से लेने की जरूरत नहीं है। वे अक्सर अपनी राजनीति को तेज़ करने के लिए ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करते हैं। हकीकत में, अमेरिका और भारत का रिश्ता अब “बहु-आयामी” हो चुका है जिसे एक बयान से कमजोर नहीं किया जा सकता।
हालाँकि, यह भी सच है कि पाकिस्तान की भौगोलिक स्थिति, अफगानिस्तान की स्थिरता और चीन के साथ उसके रिश्ते अमेरिका के लिए हमेशा अहम रहेंगे। इसलिए अमेरिका पाकिस्तान को पूरी तरह नज़रअंदाज़ भी नहीं कर सकता।
निष्कर्ष
ट्रम्प का यह बयान भले ही चर्चा का विषय बना हो, लेकिन वास्तविकता यह है कि भारत और अमेरिका का रिश्ता व्यापार, रक्षा और रणनीति के इतने गहरे स्तर पर पहुँच चुका है कि पाकिस्तान के लिए उसे “त्यागना” संभव नहीं है।
हाँ, अमेरिकी चुनावों के समय ऐसे बयान आते रहेंगे और इन्हें पाकिस्तान और भारत दोनों अपने-अपने तरीके से उपयोग करेंगे। भारत के लिए यह समय सतर्क रहने और अमेरिका के साथ अपने रिश्ते को और मजबूत बनाने का है।
आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या ट्रम्प इस मुद्दे को चुनावी बहस में आगे बढ़ाते हैं या यह केवल एक अस्थायी बयान साबित होता है।