Income Tax ITR Due Date Extension: हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करने की प्रक्रिया को लेकर करदाताओं में हलचल रही। लेकिन सरकार द्वारा आयकर रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि बढ़ाने की घोषणा ने लाखों टैक्सपेयर्स को अस्थायी राहत दी है।

हालांकि यह राहत केवल समय के लिहाज़ से है — ज़िम्मेदारी और जवाबदेही जस की तस बनी हुई है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि ITR की अंतिम तिथि क्यों बढ़ाई गई, इसका किन-किन लोगों पर प्रभाव पड़ेगा, और इसके पीछे सरकार की मंशा क्या हो सकती है।

क्या है ITR की नई अंतिम तिथि? (What is the new last date for ITR)

आमतौर पर व्यक्तिगत करदाताओं (जिनके खातों का ऑडिट नहीं होता) के लिए आयकर रिटर्न भरने की अंतिम तिथि 31 जुलाई होती है। लेकिन 2025 में, सरकार ने इसे बढ़ाकर 31 अगस्त 2025 कर दिया है।

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 महत्वपूर्ण: यह विस्तार केवल गैर-ऑडिट मामलों के लिए लागू है। ऑडिट योग्य संस्थाओं/कारोबारों के लिए अंतिम तिथियाँ अलग हैं।

तिथि बढ़ाने के पीछे का कारण (The reason behind extending the date is)

  1. तकनीकी समस्याएं:
    आयकर विभाग की ई-फाइलिंग वेबसाइट पर लगातार लोड बढ़ने और तकनीकी खामियों की शिकायतें आ रही थीं। इससे कई लोग समय रहते अपना ITR फाइल नहीं कर पा रहे थे।
  2. बारिश और प्राकृतिक आपदाएं:
    भारत के कई हिस्सों में भारी बारिश और बाढ़ के कारण सामान्य जीवन अस्त-व्यस्त हो गया था। विशेष रूप से उत्तराखंड, बिहार, असम और मुंबई जैसे इलाकों से ऐसी रिपोर्ट्स आईं, जहाँ टैक्सपेयर्स समय पर फाइलिंग नहीं कर सके।
  3. CA और टैक्स प्रोफेशनल्स का दबाव:
    चार्टर्ड अकाउंटेंट्स और टैक्स प्रोफेशनल्स की ओर से लगातार यह मांग उठ रही थी कि लोगों के दस्तावेज़ों की समीक्षा और फाइलिंग के लिए अधिक समय दिया जाए।
  4. राजस्व की स्थिरता बनाए रखना:
    सरकार चाहती है कि अधिक से अधिक लोग स्वेच्छा से रिटर्न फाइल करें। तारीख बढ़ाने से वे लोग भी फाइलिंग की प्रक्रिया में शामिल हो सकते हैं, जो किन्हीं कारणों से पीछे रह गए थे।

किन करदाताओं को होगा लाभ? (Which taxpayers will benefit?)

  • सैलरी क्लास कर्मचारी, जो आम तौर पर TDS के आधार पर रिटर्न फाइल करते हैं।
  • फ्रीलांसर, सिंगल प्रोप्राइटर, जिनका ऑडिट नहीं होता।
  • सेवानिवृत्त कर्मचारी, जिन्हें दस्तावेज़ इकट्ठा करने में समय लगता है।
  • पहली बार ITR फाइल करने वाले युवा या नए करदाता।
  • एनआरआई (NRI) जो देश से बाहर रहकर फाइलिंग कर रहे हैं।

तिथि विस्तार का मतलब यह नहीं कि… (The date extension does not mean that)

कई लोग तिथि बढ़ते ही इसे आलस्य या टालमटोल का लाइसेंस मान लेते हैं। लेकिन ध्यान रहे:

  1. ब्याज की देनदारी जारी रहती है:
    अगर आपने अपना टैक्स अभी तक नहीं भरा है और आपकी देनदारी बनती है, तो हर दिन उसपर ब्याज (Interest under Section 234A/B/C) लगता है।
  2. वेरिफिकेशन में देरी नहीं होनी चाहिए:
    सिर्फ रिटर्न फाइल करना काफी नहीं है — उसे 30 दिन के अंदर ई-वेरिफाई करना ज़रूरी है।
  3. फाइलिंग के बाद संसोधन का अवसर सीमित होता है:
    अगर आपने जल्दबाज़ी में ग़लती की, तो संशोधित ITR (Revised Return) फाइल करने का एक सीमित समय होता है।

सरकार की सोच: ‘सख्ती के साथ सहूलियत’ (Government’s thinking: ‘Convenience with strictness’)

पिछले कुछ वर्षों में आयकर विभाग का नजरिया बदला है। जहां पहले भारी पेनल्टी और नोटिस का डर रहता था, वहीं अब विभाग करदाताओं को “Ease of Compliance” के तहत समय, तकनीकी सहूलियत और गाइडलाइंस देने पर ज़ोर दे रहा है।

लेकिन साथ ही विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि बार-बार की गई तिथि वृद्धि की उम्मीद न रखें — यह सिर्फ एक असाधारण स्थिति में उठाया गया कदम है।

आगे की सलाह: रिटर्न को आदत बनाएं, बोझ नहीं (Further advice: Make returns a habit, not a burden)

  • रिटर्न फाइल करना सिर्फ कानूनी आवश्यकता नहीं, बल्कि एक वित्तीय अनुशासन भी है।
  • इससे न केवल आपकी आय और निवेश का रिकॉर्ड बनता है, बल्कि भविष्य में लोन, वीजा, या सरकारी स्कीमों में भी मदद मिलती है।
  • समय पर फाइलिंग से नोटिस और जुर्माने से बचाव होता है।

निष्कर्ष (Conclusion)

ITR फाइलिंग की अंतिम तिथि का बढ़ना निश्चित रूप से राहत देने वाला है, खासकर उन लोगों के लिए जो किन्हीं व्यक्तिगत या तकनीकी कारणों से पिछड़ गए थे। लेकिन यह एक याद दिलाने वाला मौका भी है — कि वित्तीय ज़िम्मेदारी और अनुशासन अब विकल्प नहीं, आवश्यकता बन चुके हैं।

तो अगर आपने अभी तक अपना ITR फाइल नहीं किया है, तो देर न करें। सरकार ने मौका दिया है, अब बारी आपकी है।