Shardiya Navratri 2025: भारत एक ऐसा देश है जहां हर पर्व, हर व्रत और हर उत्सव का अपना महत्व है। इन्हीं प्रमुख उत्सवों में से एक है शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri)। यह पर्व मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना का पर्व है, जो पूरे देशभर में अत्यंत श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। वर्ष 2025 में शारदीय नवरात्रि विशेष संयोग लेकर आ रही है। नवरात्रि एक ऐसा अवसर है जिसमें लोग 9 दिनों तक रखते हैं व्रत और फिर कन्या पूजन किया जाता है।

शारदीय नवरात्रि 2025 कब है? (When Is Sharadiya Navratri 2025?)

हिंदू पंचांग के अनुसार, शारदीय नवरात्रि की शुरुआत आश्विन मास की शुक्ल प्रतिपदा से होती है और विजयादशमी के दिन इसका समापन होता है। वर्ष 2025 में शारदीय नवरात्रि का शुभारंभ 29 सितंबर 2025, सोमवार से होगा और इसका समापन 7 अक्टूबर 2025, मंगलवार को होगा।

  • प्रतिपदा तिथि प्रारंभ: 28 सितंबर 2025, रविवार शाम 04:32 बजे
  • प्रतिपदा तिथि समाप्त: 29 सितंबर 2025, सोमवार दोपहर 02:15 बजे
  • कलश स्थापना (घटस्थापना) मुहूर्त: 29 सितंबर 2025, प्रातः 06:10 बजे से 08:45 बजे तक शुभ समय माना गया है।

कलश स्थापना की विधि: (Method Of Kalash Installation:)

  1. प्रातः स्नान करके घर के पूजा स्थान को साफ करें।
  2. मिट्टी के पात्र में जौ बोएं और उस पर कलश रखें।
  3. कलश पर रोली, मौली और स्वास्तिक बनाएं।
  4. कलश में गंगाजल, सुपारी, लौंग, अक्षत और सिक्का डालें।
  5. नारियल पर लाल चुनरी और मौली बांधकर उसे कलश पर स्थापित करें।
  6. कलश के समीप दीपक जलाएं और मां दुर्गा का ध्यान करें।

नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा (Worship Of The Nine Forms Of Goddess Durga During Navratri)

शारदीय नवरात्रि में प्रत्येक दिन मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूप की पूजा का विधान है।

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  1. पहला दिन (29 सितंबर) – मां शैलपुत्री की पूजा
  2. दूसरा दिन (30 सितंबर) – मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
  3. तीसरा दिन (1 अक्टूबर) – मां चंद्रघंटा की पूजा
  4. चौथा दिन (2 अक्टूबर) – मां कूष्मांडा की पूजा
  5. पांचवा दिन (3 अक्टूबर) – मां स्कंदमाता की पूजा
  6. छठा दिन (4 अक्टूबर) – मां कात्यायनी की पूजा
  7. सातवां दिन (5 अक्टूबर) – मां कालरात्रि की पूजा
  8. आठवां दिन (6 अक्टूबर) – मां महागौरी की पूजा
  9. नौवां दिन (7 अक्टूबर) – मां सिद्धिदात्री की पूजा

नवरात्रि व्रत के नियम (Rules Of Navratri Fasting)

  • व्रत रखने वाले व्यक्ति को  पालन करना चाहिए।
  • व्रत रखने वालों को चाहिए: व्रत तोड़ने और मुलायम वस्त्र पहनने के बाद,
  •  सबसे पहले पूजा करनी चाहिए और फिर भोजन करना चाहिए।
  •  भोजन में फल और व्रत की चीज़ें जैसे साबूदाना चावल और
  •  साबूदाना खीर, कुट्टू के आटे की पूरियाँ, रोटियाँ और आलू की सब्जी शामिल होनी चाहिए।

दुर्गा सप्तशती पाठ का महत्व (Importance Of Durga Saptashati Recitation)

नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती पाठ का विशेष महत्व है। यह ग्रंथ देवी महात्म्य के नाम से भी प्रसिद्ध है। इसके पाठ से जीवन के सभी दुख, भय और कष्ट दूर होते हैं। भक्त अपनी श्रद्धा के अनुसार संपूर्ण सप्तशती पाठ या केवल कवच, कीलक और अर्गला स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं।

कन्या पूजन का महत्व (Importance Of Kanya Pujan)

नवरात्रि के अंतिम दिन यानी अष्टमी या नवमी तिथि को कन्या पूजन किया जाता है। इस दिन 2 से 10 वर्ष की कन्याओं को मां दुर्गा का स्वरूप मानकर पूजते हैं।

कन्या पूजन की विधि: (Method Of Kanya Pujan:)

  1. कन्याओं को आमंत्रित कर उनके चरण धोएं।
  2. उन्हें लाल चुनरी, कुमकुम और फूल अर्पित करें।
  3. पूरी, हलवा और चने का भोग लगाकर भोजन कराएं।
  4. दक्षिणा और उपहार देकर विदा करें।

कहा जाता है कि कन्या पूजन करने से मां दुर्गा विशेष प्रसन्न होती हैं और घर-परिवार पर उनकी कृपा बनी रहती है।

नवरात्रि में क्या करें और क्या न करें (Do’s And Don’ts During Navratri)

क्या करें:

  • घर को साफ-सुथरा रखें और प्रतिदिन मां दुर्गा की आरती करें।
  • जरूरतमंदों को भोजन और वस्त्र दान करें।
  • नवरात्रि पर देवी दुर्गा को प्रसन्न करें

क्या न करें:

• घर में झगड़े या बेकार की बातचीत से बचें।

• नवरात्रि के दौरान मांसाहारी और तामसिक भोजन से बचें।

• पूजा करते समय लापरवाही से बचें।

विजयादशमी का महत्व (Significance Of Vijayadashami)

नवरात्रि का समापन विजयादशमी (दशहरा) के दिन होता है। यह दिन असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक है। इस दिन रावण दहन की परंपरा है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाता है।

निष्कर्ष (Conclusion)

शारदीय नवरात्रि 2025 भक्तों के लिए विशेष अवसर लेकर आ रही है। यह केवल व्रत-उपवास का पर्व नहीं बल्कि आत्मशुद्धि और आत्मबल को मजबूत करने का समय है। नौ दिनों तक मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा करने से न केवल आध्यात्मिक शांति मिलती है, बल्कि जीवन की कठिनाइयों से लड़ने की शक्ति भी प्राप्त होती है।
कलश स्थापना से लेकर कन्या पूजन तक हर चरण में मां दुर्गा की अपार कृपा समाहित है। यदि श्रद्धा और नियमों के साथ नवरात्रि का पालन किया जाए, तो जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है।