Table of Contents
When is Dussehra 2025: भारत एक ऐसा देश है जहां हर त्यौहार के पीछे गहरी आस्था, परंपरा और सांस्कृतिक महत्व छुपा होता है। नवरात्रि के नौ दिनों की उपासना के बाद दशहरा या विजयादशमी का पर्व मनाया जाता है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की विजय और अधर्म पर धर्म की जीत का प्रतीक है। इसी दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध किया था और माता सीता को लंका से मुक्त कराया था। इसलिए दशहरे पर रावण दहन की परंपरा आज भी जीवित है।
आइए जानते हैं साल 2025 में दशहरा कब है, रावण दहन का शुभ समय और इस पर्व से जुड़ी धार्मिक मान्यताएं।
दशहरा 2025 की तारीख और दिन (Dussehra 2025 Date And Day)
हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को दशहरा मनाया जाता है। 2025 में यह तिथि सोमवार, 6 अक्टूबर को पड़ रही है। इस दिन पूरे देश में विजयादशमी का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाएगा।
दशहरा 2025: रावण दहन का शुभ मुहूर्त (Dussehra 2025: Auspicious Time For Ravana Dahan)

पंडितों और ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, विजयादशमी के दिन रावण दहन का विशेष महत्व होता है। शुभ मुहूर्त में रावण का दहन करने से जीवन में बुरी शक्तियों और नकारात्मकता का नाश होता है।
- दशमी तिथि आरंभ: 6 अक्टूबर 2025, सुबह 04:11 बजे
- दशमी तिथि समाप्त: 7 अक्टूबर 2025, सुबह 02:34 बजे
- विजय मुहूर्त: दोपहर 02:13 बजे से 02:59 बजे तक
- रावण दहन का शुभ समय: शाम 06:00 बजे से रात 08:00 बजे के बीच करना श्रेष्ठ रहेगा।
ध्यान रखें कि रावण दहन हमेशा सूर्यास्त के बाद करना उत्तम माना जाता है।
दशहरे का धार्मिक महत्व (Religious Significance Of Dussehra)
दशहरा केवल रावण दहन का ही प्रतीक नहीं है, बल्कि यह अच्छाई की विजय और नए आरंभ का पर्व है। मान्यता है कि इस दिन किए गए कार्य, शुभ संस्कार और नए उपक्रम जीवन में सफलता लाते हैं।
- रामायण प्रसंग – त्रेता युग में भगवान श्रीराम ने रावण का वध कर धर्म की रक्षा की। यह दिन अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है।
- महाभारत से संबंध – कहा जाता है कि पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान अपने शस्त्र शमी के पेड़ में छुपाए थे। विजयादशमी के दिन उन्होंने अपने शस्त्र वापस लेकर युद्ध की तैयारी की थी।
- देवी दुर्गा की विजय – नवरात्रि के नौ दिन तक माँ दुर्गा ने महिषासुर का वध कर दुनिया से बुराई का अंत किया। दशहरा उसी विजय का पर्व है।
रावण दहन की परंपरा (The Tradition Of Burning Ravana)

भारत के हर राज्य में दशहरे का आयोजन अलग-अलग ढंग से किया जाता है। कहीं मेले लगते हैं, कहीं रामलीला का मंचन होता है और कहीं विशाल रावण, मेघनाद और कुंभकरण के पुतले जलाए जाते हैं।
- उत्तर भारत – दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में विशाल रामलीला मंचन और रावण दहन के मेले प्रसिद्ध हैं।
- पश्चिम बंगाल – यहाँ दशहरा दुर्गा पूजा के विसर्जन के रूप में मनाया जाता है।
- दक्षिण भारत – कर्नाटक में मैसूर दशहरा विश्वभर में प्रसिद्ध है। यहाँ भव्य जुलूस और सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं।
दशहरे पर क्या करें और क्या न करें (Dos And Don’ts On Dussehra)
दशहरे के दिन कुछ विशेष कार्य करना शुभ माना जाता है, वहीं कुछ चीज़ों से परहेज़ करना चाहिए।
क्या करें
- इस दिन शमी, अपराजिता या अशोक के पत्ते को “सोना” मानकर एक-दूसरे को बांटना शुभ है।
- घर में विजयादशमी के दिन शस्त्र और औजारों की पूजा करनी चाहिए।
- नए व्यापार, घर या वाहन की शुरुआत इस दिन करना अत्यंत मंगलकारी होता है।
क्या न करें
- इस दिन किसी का अपमान, झगड़ा या नकारात्मक सोच से बचना चाहिए।
- बुरी आदतों और नशे से दूर रहना चाहिए, क्योंकि यह पर्व बुराई छोड़ने का संदेश देता है।
दशहरा और जीवन का संदेश (Dussehra And The Message Of Life)
दशहरा हमें यह सिखाता है कि चाहे बुराई कितनी ही शक्तिशाली क्यों न हो, अंत में जीत हमेशा सत्य और धर्म की होती है। भगवान राम का आदर्श चरित्र हमें यह प्रेरणा देता है कि कठिन परिस्थितियों में भी धैर्य, पराक्रम और धर्म का पालन करना चाहिए।
रावण एक विद्वान और शक्तिशाली राजा था, लेकिन उसका अहंकार और अधर्म उसे पतन की ओर ले गया। यह पर्व हमें यह याद दिलाता है कि जीवन में सफलता पाने के लिए अहंकार त्यागकर सद्गुणों को अपनाना आवश्यक है।
2025 के दशहरे की खासियत (Special Features Of Dussehra 2025)
- 2025 में दशहरा सोमवार के दिन पड़ रहा है, जिसे ज्योतिष में अत्यंत शुभ माना गया है।
- इस साल दशहरा विजय मुहूर्त और अमृत सिद्धि योग के साथ आ रहा है, जो रावण दहन और नए कार्यों की शुरुआत के लिए बेहद उत्तम समय है।
- कई बड़े शहरों में रावण दहन के विशाल आयोजन होंगे, जिनमें लाखों लोग शामिल होंगे।
निष्कर्ष (Conclusion)
दशहरा 2025 का पर्व 6 अक्टूबर, सोमवार को मनाया जाएगा। इस दिन रावण दहन का शुभ समय सूर्यास्त के बाद शाम 06:00 बजे से रात 08:00 बजे तक रहेगा। विजयादशमी केवल एक त्यौहार नहीं बल्कि जीवन जीने की प्रेरणा है। यह हमें यह सिखाती है कि बुराई चाहे कितनी भी बड़ी क्यों न हो, अंत में जीत सत्य और अच्छाई की ही होती है।
इस दशहरे पर रावण दहन देखकर केवल परंपरा निभाना ही नहीं, बल्कि अपने भीतर की बुराइयों को भी जलाना चाहिए। यही इस पर्व का वास्तविक संदेश है।