परिचय (Introduction)
The controversy over the film Chhava
: कभी सिनेमा मनोरंजन का माध्यम था, अब यह विचारधारा का हथियार बन चुका है।
जहां एक तरफ भारतीय सिनेमा प्यार, संस्कृति और संघर्ष की कहानियाँ कहता है,
वहीं दूसरी ओर कुछ फ़िल्में इतिहास के नाम पर समाज को बाँटने का ज़रिया बन रही हैं।
ऐसे माहौल में आई है “छावा (Chhava)”, एक ऐसी फिल्म जिसने महाराष्ट्र से लेकर पूरे देश में हलचल मचा दी है।
फिल्म छत्रपति संभाजी महाराज के जीवन पर आधारित बताई जा रही है,
लेकिन इतिहासकारों और समाज के बुद्धिजीवियों के बीच इसे लेकर गहरी बहस छिड़ गई है।
छावां कौन था? (Who was Chhava?)
“छावा” का अर्थ है “शेर का बच्चा”।
यह उपाधि छत्रपति संभाजी महाराज को दी गई थी, जो छत्रपति शिवाजी महाराज के ज्येष्ठ पुत्र थे।
संभाजी महाराज का जीवन वीरता, विद्रोह, और कठिन निर्णयों से भरा हुआ था।
वे न केवल एक योद्धा थे, बल्कि एक रणनीतिकार और विचारशील व्यक्ति भी थे।
फिल्म “छावा” इन्हीं के जीवन से प्रेरित है, जो शिवाजी के उत्तराधिकारी के रूप में मुगल बादशाह औरंगज़ेब से लोहा लेते हैं।
संभाजी महाराज ने अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाया, लेकिन उनका शासन निरंतर संघर्षों और षड्यंत्रों से घिरा रहा।

फिल्म की कहानी और दृष्टिकोण (Chhava Film Overview: History or Fiction?)
फिल्म का निर्देशन तुषार गोयल ने किया है, और यह शिवाजी सामंत के प्रसिद्ध उपन्यास “छावा” पर आधारित है।
हालांकि उपन्यास ऐतिहासिक घटनाओं से प्रेरित है, फिल्म ने कई हिस्सों को सिनेमाई प्रभाव के लिए काल्पनिक बना दिया है।
126 मिनट की इस फिल्म में लगभग 40 मिनट केवल संभाजी महाराज की यातना पर केंद्रित हैं।
निर्देशक ने इस हिस्से को भावनात्मक रूप से दिखाने की कोशिश की है,
लेकिन आलोचकों का कहना है कि यह दृश्य “अत्यधिक नाटकीय” और “एकतरफा” हैं।
फिल्म में औरंगज़ेब को “निर्दयी और धर्मांध” के रूप में दिखाया गया है,
जिससे इतिहास की जटिलता एक सादा ‘अच्छा बनाम बुरा’ कहानी में बदल जाती है।
कास्ट फीस कितनी है? (Chhava Film Cast Fees)
फिल्म में प्रमुख कलाकारों की फीस भी चर्चा का विषय रही है।
- विक्रम गोखले (as Sambhaji Maharaj) – ₹3 करोड़
- राज अरुण (as Aurangzeb) – ₹1.5 करोड़
- अंकिता लोखंडे (as Yesubai) – ₹1.2 करोड़
- मकरंद देशपांडे (as Advisor) – ₹80 लाख
- सपोर्टिंग कास्ट – ₹40–60 लाख
कुल मिलाकर, फिल्म की स्टारकास्ट ने लगभग ₹7–8 करोड़ का हिस्सा बजट से लिया है।
फिल्म का बजट कितना है? (Chhava Film Budget)
फिल्म का कुल बजट लगभग ₹40 करोड़ बताया जा रहा है।
इसमें 18 करोड़ प्रोडक्शन, 7 करोड़ VFX, और करीब 5 करोड़ प्रमोशन पर खर्च हुए हैं।
बाकी राशि कलाकारों की फीस और ऐतिहासिक सेट निर्माण में लगी।
फिल्म की शूटिंग सातारा, रायगढ़, राजस्थान और हैदराबाद के ऐतिहासिक किलों में हुई है,
जिससे इसे एक प्रामाणिक ऐतिहासिक लुक मिला है।
फिल्म किस पर आधारित है? (What is Chhava Based On?)
“छावा” फिल्म शिवाजी सामंत के उपन्यास Chhava पर आधारित है,
जो संभाजी महाराज के जीवन, संघर्ष और औरंगज़ेब के साथ उनके टकराव को दर्शाता है।
कहानी में उनके बचपन से लेकर मृत्यु तक का सफर दिखाया गया है।
हालांकि फिल्म में कई दृश्यों को नाटकीय प्रभाव के लिए बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया है।
औरंगज़ेब द्वारा संभाजी पर की गई यातनाओं को 40 मिनट तक दिखाना
फिल्म की भावनात्मक गहराई तो बढ़ाता है, मगर ऐतिहासिक प्रमाण स्पष्ट नहीं हैं।
इतिहास का द्वंद्व – वीर बनाम अत्याचारी (The Historical Conflict: Hero vs Tyrant)
फिल्म का मुख्य थीम मध्यकालीन इतिहास को “वीर हिंदू राजा बनाम निर्दयी मुस्लिम बादशाह” के रूप में दिखाना है।
ऐसा चित्रण पहले भी फिल्मों जैसे “The Kerala Story”, “Samrat Prithviraj”, “Swatantraveer Savarkar” में देखा गया है।
लेकिन वास्तविकता यह है कि शिवाजी महाराज और संभाजी महाराज दोनों की सेना में कई मुस्लिम अधिकारी थे:
- मौलाना हैदर अली – शिवाजी के सचिव
- इब्राहिम गार्डी, सिद्दी संबल, और दौलत खान – प्रमुख जनरल्स
यह दिखाता है कि सत्ता और युद्ध उस समय धर्म नहीं, बल्कि राजनीति और रणनीति से चलते थे।
औरंगज़ेब और संभाजी का संघर्ष (Aurangzeb vs Sambhaji Conflict)
फिल्म में औरंगज़ेब को खलनायक के रूप में दिखाया गया है।
असल में दोनों के बीच का टकराव राजनीतिक था, न कि धार्मिक।
संभाजी को अपने ही परिवार से धोखा मिला —
उनके सौतेले भाई राजाराम की मां सोयराबाई ने उन्हें विष देने की साजिश की।
इन घटनाओं को फिल्म में दर्शाया गया है,
मगर औरंगज़ेब के दृष्टिकोण को पूरी तरह अनदेखा किया गया है।
फिल्म की प्रस्तुति और प्रभाव (Cinematography and Impact)
फिल्म की सिनेमैटोग्राफी शानदार है।
युद्ध के दृश्य, तलवारबाज़ी, और महलों का वैभव दर्शकों को 17वीं सदी में ले जाता है।
लेकिन समस्या यह है कि फिल्म का उद्देश्य इतिहास की बजाय राजनीतिक संदेश देने पर अधिक केंद्रित लगता है।
कई समीक्षक इसे “प्रोपेगेंडा सिनेमा” कह रहे हैं, जबकि कुछ इसे “देशभक्ति का सिनेमाई उत्सव” बता रहे हैं।
विवाद और माफ़ी (Controversy and Apology)
फिल्म की रिलीज़ के बाद इतिहासकारों ने आपत्ति जताई कि इसमें ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़–मरोड़कर पेश किया गया है।
विवाद बढ़ने पर फिल्म निर्माताओं को माफ़ी मांगनी पड़ी।
उन्होंने बयान जारी किया:
“हमारा उद्देश्य किसी भी समुदाय की भावना को ठेस पहुँचाना नहीं था। यह फिल्म एक काल्पनिक प्रस्तुति है।”

दर्शकों की प्रतिक्रिया (Public Reaction)
सोशल मीडिया पर “#ChhavaMovie” ट्रेंड कर रहा है।
कई लोगों ने फिल्म की विजुअल क्वालिटी और संगीत की तारीफ की,
जबकि कुछ ने इसे “इतिहास का राजनीतिकरण” बताया।
एक यूज़र ने लिखा:
“फिल्म देखकर गर्व हुआ, पर इतिहास के कई पहलू छूट गए।”
दूसरे ने कहा:
“यह सिनेमा नहीं, प्रचार है।”
निवारण (Redressal)
“छावा” एक ऐसी फिल्म है जो भावनाओं को झकझोरती है और सोचने पर मजबूर करती है।
यह मनोरंजन से ज्यादा एक दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है।
संभाजी महाराज की वीरता का महिमामंडन करते हुए भी,
फिल्म यह सवाल छोड़ जाती है —
क्या सिनेमा का काम सच्चाई दिखाना है या विचारधारा बनाना?
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
छावां कौन था? (Who was Chhava?)
“छावा” का अर्थ शेर का बच्चा है — यह उपाधि छत्रपति संभाजी महाराज को दी गई थी।
चावा फिल्म की कास्ट फीस कितनी है? (What is the cast fee of Chhava?)
विक्रम गोखले – ₹3 करोड़, राज अरुण – ₹1.5 करोड़, अंकिता लोखंडे – ₹1.2 करोड़।
चावा फिल्म किस पर आधारित है? (What is Chhava based on?)
फिल्म शिवाजी सामंत के उपन्यास “छावा” पर आधारित है, जो संभाजी महाराज के जीवन से प्रेरित है।
छावा फिल्म का बजट कितना है? (What is the budget of Chhava?)
फिल्म का बजट ₹40 करोड़ है, जिसमें VFX, सेट और प्रमोशन शामिल हैं।