परिचय | Introduction

DELHI AWAITS ARTIFICIAL RAIN: दिल्ली  जहाँ सर्दियों में स्मॉग, गर्मियों में लू और बाकी साल प्रदूषण सुर्खियों में रहता है – लेकिन इस बार, राजधानी एक अलग तरीका अपनाने जा रही है। हवा में उड़ते हवाई जहाज, बादलों में मिलते केमिकल पदार्थ, और यह उम्मीद कि वे बारिश की बूंदें बन सकते हैं। सच में, दिल्ली आज अपना पहला “क्लाउड सीडिंग ट्रायल” देख सकती है, जो आर्टिफिशियल बारिश पैदा करने का एक एक्सपेरिमेंट है और एक ऐतिहासिक पल होगा। लोगों की नज़रें ऊपर की ओर हैं, माहौल उम्मीद और सवालों से भरा है – क्या इससे सच में दिल्ली की हवा साफ़ होगी? क्या यह एक्सपेरिमेंट सफल होगा?

क्या दिल्ली में क्लाउड सीडिंग की जाती है? | Is cloud seeding done in Delhi?

IIT कानपुर के साथ मिलकर दिल्ली सरकार ने क्लाउड सीडिंग के पांच ट्रायल ऑर्गनाइज़ किए हैं। आज, 28 अक्टूबर 2025 को पहला ट्रायल हो रहा है, और अगर मौसम ठीक रहा तो दिल्ली के अलग-अलग हिस्सों में आर्टिफिशियल बारिश हो सकती है। पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा के मुताबिक, इस ऑपरेशन में कानपुर में तैनात एक प्लेन का इस्तेमाल किया जाएगा। फिलहाल, इस मिशन के लिए मौसम की स्थिति और विज़िबिलिटी ज़रूरी फैक्टर हैं। जैसे ही कानपुर में विज़िबिलिटी 5000 मीटर होगी, एयरक्राफ्ट उड़ान भरेगा और दिल्ली के ऊपर बादलों में “सीडिंग” प्रोसेस शुरू हो जाएगा।

क्या दिल्ली में वाकई 52.9 डिग्री है? | Is it really 52.9 degrees in Delhi?

इस साल दिल्ली में रिकॉर्ड तोड़ गर्मी ने लोगों को झुलसा दिया। हालांकि आधिकारिक रूप से 52.9 डिग्री सेल्सियस का आंकड़ा मौसम विभाग ने “तकनीकी त्रुटि” बताया था, लेकिन हकीकत यह है कि मई 2025 में 48.8 डिग्री तापमान दर्ज हुआ था — जो अब तक का सबसे अधिक तापमान था।
जलवायु विशेषज्ञों का मानना है कि दिल्ली आने वाले वर्षों में और गर्म होती जाएगी, अगर समय रहते प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग पर काबू नहीं पाया गया।

Featured

क्लाउड सीडिंग की लागत क्या है? | What is the cost of cloud seeding in Delhi?

दिल्ली सरकार ने 3.21 करोड़ की लागत से पाँच ट्रायल कराने का निर्णय लिया है।
इस परियोजना के लिए सितंबर में IIT कानपुर के साथ एक MoU (समझौता ज्ञापन) साइन किया गया।
क्लाउड सीडिंग के लिए इस्तेमाल होने वाले रासायनिक तत्व जैसे सिल्वर आयोडाइड, ड्राई आइस और रॉक सॉल्ट IIT कानपुर की लैब में विशेष रूप से तैयार किए गए हैं।

यह प्रक्रिया आसान नहीं है—क्योंकि यह मौसम पर निर्भर करती है। बादलों की नमी, दिशा, और तापमान, सभी फैक्टर इसकी सफलता तय करते हैं।

क्लाउड सीडिंग क्या होती है? | What is Cloud Seeding?

क्लाउड सीडिंग एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है जिसमें सिल्वर आयोडाइड या अन्य रासायनिक कणों को बादलों में छोड़ा जाता है ताकि वर्षा उत्पन्न हो सके।
इसे विमानों, रॉकेटों या ग्राउंड मशीनों के ज़रिए किया जाता है। इसका उपयोग मुख्य रूप से तीन उद्देश्यों के लिए किया जाता है:

  1. सूखे इलाकों में बारिश बढ़ाने के लिए
  2. हिमपात कम करने या नियंत्रित करने के लिए
  3. कोहरे और प्रदूषण को कम करने के लिए

दिल्ली में इसका उद्देश्य स्पष्ट है — वायु प्रदूषण कम करना और AQI सुधारना

दिल्ली क्यों कर रही है यह प्रयोग? | Why Delhi Is Pushing For Artificial Rain

दिल्ली की हवा हर साल एक संकट बन जाती है।
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) की रिपोर्ट के अनुसार, 2024-25 की सर्दियों में दिल्ली का PM2.5 औसत 175 माइक्रोग्राम/क्यूबिक मीटर रहा — जो WHO की सीमा से 11 गुना अधिक है।

वायु प्रदूषण की वजह से दिल्लीवासियों की औसत आयु लगभग 12 साल तक घट रही है, ऐसा कहना है यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो के एनर्जी पॉलिसी इंस्टिट्यूट (EPIC) की रिपोर्ट का।

आज सुबह 8 बजे तक दिल्ली का AQI 306 रहा, जो “Very Poor” श्रेणी में आता है।
कई इलाकों जैसे आनंद विहार (321), सिरी फोर्ट (350) और बवाना (336) में स्थिति और भी खराब रही।

2050 में दिल्ली कितनी गर्म होगी? | How hot will Delhi be in 2050?

जलवायु विशेषज्ञों का अनुमान है कि अगर ग्लोबल वार्मिंग इसी गति से बढ़ी, तो 2050 तक दिल्ली का औसत ग्रीष्मकालीन तापमान 51°C तक पहुंच सकता है।
विज्ञानियों का कहना है कि यह शहर “Heat Island” में तब्दील हो रहा है — यानी जहां तापमान आस-पास के क्षेत्रों से अधिक रहता है।
अगर ग्रीन एनर्जी और प्रदूषण नियंत्रण नीति पर ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो दिल्ली का भविष्य “सांसों की जंग” बन सकता है।

भारत में कौन सा शहर सबसे गर्म है? | Which city is the hottest in India?

भारत में अक्सर फालोदी (राजस्थान) को सबसे गर्म शहर माना जाता है, जहां 2016 में 51°C तापमान दर्ज हुआ था।
लेकिन अब दिल्ली भी इस सूची में तेजी से ऊपर बढ़ रही है।
2025 की गर्मियों में दिल्ली, प्रयागराज और नागपुर जैसे शहरों ने भी 48°C से ऊपर तापमान देखा।

किस शहर में 365 दिन बारिश होती है? | Which city receives rain all 365 days?

दुनिया में भारत के मेघालय राज्य का मौसिनराम वह स्थान है, जहां लगभग पूरे साल बारिश होती है।
यह विश्व का सबसे अधिक वर्षा वाला इलाका माना जाता है।
यहां औसतन 11,800 मिमी वर्षा प्रति वर्ष दर्ज की जाती है — यानी दिल्ली के सपनों की बारिश का असली ठिकाना मेघालय है!

क्या 2025 भारत में 2024 से ज्यादा गर्म होगा? | Will 2025 be hotter than 2024 in India?

वैज्ञानिक आंकड़ों के अनुसार, 2025 अब तक का सबसे गर्म वर्ष साबित हो सकता है।
IMD और NASA के तापमान विश्लेषण से पता चलता है कि एलनीनो प्रभाव और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के कारण भारत के उत्तरी भागों में औसत तापमान 1.4°C तक बढ़ा है।
दिल्ली में यह असर और ज्यादा देखने को मिल रहा है, जिससे गर्मी और प्रदूषण दोनों बढ़े हैं।

क्लाउड सीडिंग का जनक कौन है? | Who is the father of cloud seeding?

क्लाउड सीडिंग का श्रेय विंसेंट शेफर (Vincent Schaefer) को जाता है, जिन्होंने 1946 में अमेरिका में इसका पहला सफल प्रयोग किया था।
उन्होंने “ड्राई आइस” का इस्तेमाल कर बर्फ के क्रिस्टल बनाए और दिखाया कि बादलों से बारिश कराई जा सकती है।
उनकी खोज ने दुनिया भर में “Artificial Rain” तकनीक की नींव रखी।

दिल्ली के लिए अगला कदम | What’s Next for Delhi?

अगर आज का ट्रायल सफल रहता है, तो दिल्ली सरकार नवंबर तक पाँचों ट्रायल पूरे करेगी।
ये प्रयोग मुख्यतः उत्तरपश्चिम दिल्ली के इलाकों में होंगे — जैसे रोहिणी, नरेला, और बवाना।

दिल्ली सरकार उम्मीद कर रही है कि यह प्रक्रिया प्रदूषण के स्तर को 20-25% तक घटा सकती है।
हालांकि वैज्ञानिक इसे “Short-term Relief” बताते हैं, दीर्घकालीन समाधान नहीं।

जनता की राय | Public Opinion

राजधानी के लोगों में उत्सुकता और सवाल दोनों हैं—

  • “अगर बारिश से हवा साफ हो जाए तो यह सबसे अच्छा उपाय है।”
  • “3 करोड़ खर्च करने से क्या फर्क पड़ेगा अगर बारिश बस कुछ घंटों की हो?”
  • “सरकार को पेड़ लगाना और ट्रैफिक कंट्रोल पर ध्यान देना चाहिए।”

परंतु हर राय के बीच एक साझा उम्मीद है — थोड़ी सी राहत की बारिश।

निवारण | Redressal

आज दिल्ली के ऊपर आसमान उम्मीदों से भरा हुआ है। बादल वैज्ञानिकों के इशारे का इंतज़ार कर रहे हैं, वहीं ज़मीन पर मौजूद लोग पहली बारिश की बूंद का इंतज़ार कर रहे हैं जो उनके फेफड़ों की परेशानी को कम कर सके। क्लाउड सीडिंग सिर्फ एक टेक्नोलॉजी से कहीं ज़्यादा है; यह प्रदूषण से जूझ रहे दिल्ली के लिए उम्मीद की निशानी है – आसमान से आई उम्मीद की एक किरण।