BTC Election Results 2025: बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल (BTC) का चुनाव हमेशा से असम की राजनीति में एक अहम मोड़ रहा है। 22 सितंबर 2025 को हुए इस चुनाव के नतीजे घोषित हो चुके हैं और इनसे बोडोलैंड की राजनीतिक तस्वीर स्पष्ट हो गई है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि कौन सी पार्टी ने बाज़ी मारी, कौन पिछड़ गया और इसके भविष्य पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में।

 चुनावी पृष्ठभूमि (Election background)

बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल असम राज्य में एक स्वायत्त क्षेत्र है, जिसमें मुख्य रूप से बोडो समुदाय निवास करता है। BTC का गठन 2003 में बोडोलैंड ऑटोनॉमस काउंसिल के रूप में हुआ था। यह क्षेत्र राजनीतिक रूप से बहुत संवेदनशील है, क्योंकि यहाँ की सीटें स्थानीय जातीय समीकरण और सांस्कृतिक मुद्दों से प्रभावित होती हैं।

इस बार चुनाव में कुल 40 सीटों के लिए वोटिंग हुई, जिसमें विभिन्न दलों ने अपने उम्मीदवार उतारे। चुनाव में वोटिंग प्रतिशत 78.42% रहा, जो इस क्षेत्र में पिछले चुनावों के मुकाबले अच्छा माना जा रहा है।

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 प्रमुख दलों का प्रदर्शन (Performance of major parties)

1. लिबरल यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी (यूपीपीएल)

इस चुनाव में प्रमुख विजेताओं में यूपीपीएल भी शामिल थी। 2020 के चुनाव में 12 सीटें जीतने के बाद, अब पार्टी के पास कुल 16 सीटें हैं। पार्टी के जाने-माने नेता प्रमोद बोरो ने डोटमा और गोइबारी जैसे महत्वपूर्ण जिलों में जीत हासिल की। यूपीपीएल के प्रदर्शन से पता चलता है कि पार्टी अब बोडोलैंड की राजनीति में एक स्थायी ताकत के रूप में अपनी पहचान बना रही है। यूपीपीएल ने 16 सीटें जीतकर अपना मजबूत जनाधार दिखाया, जबकि बहुमत के लिए 21 सदस्यों की आवश्यकता थी।

2. बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट (BPF)

BPF इस चुनाव में सबसे ज्यादा सीटों के नुकसान का सामना करने वाला दल रहा। पार्टी ने कुल 9 सीटों पर जीत हासिल की, जबकि पिछले चुनाव में उनके पास 17 सीटें थीं। हग्रामा मोहिलारी जैसे वरिष्ठ नेताओं ने डेबर्गांव और चिरांग डुआर्स सीटों से जीत हासिल की, लेकिन कुल मिलाकर पार्टी की पकड़ कमजोर हुई।

BPF की गिरावट का एक कारण पार्टी के भीतर नेतृत्व संकट और संगठनात्मक कमजोरियां भी मानी जा रही हैं। कुछ विश्लेषकों का कहना है कि पार्टी ने स्थानीय युवाओं और नए मतदाताओं के मुद्दों को पर्याप्त रूप से नहीं उठाया।

3. भारतीय जनता पार्टी (BJP)

BJP ने इस चुनाव में 14 सीटों पर जीत दर्ज की। यह संख्या पिछले चुनाव के मुकाबले बढ़ी है, जब पार्टी के पास 9 सीटें थीं। पार्टी के लिए यह एक सकारात्मक संकेत है, क्योंकि यह दिखाता है कि राष्ट्रीय स्तर की राजनीतिक ताकत स्थानीय राजनीति में भी प्रभाव डाल रही है।

मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि पार्टी ने इस चुनाव में बेहतर प्रदर्शन किया है, हालांकि कुछ चुनौतियां सामने आईं। उनका यह भी कहना था कि लोकप्रिय गायक और सांस्कृतिक आइकन जुबीन गर्ग की दुर्भाग्यपूर्ण मौत ने कुछ क्षेत्रों में पार्टी के समर्थन को प्रभावित किया।

4. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC)

कांग्रेस इस बार के चुनाव में पूरी तरह से पिछड़ गई। पार्टी ने किसी भी सीट पर जीत नहीं हासिल की। यह एक बड़ा झटका है, क्योंकि कांग्रेस हमेशा से BTC के राजनीति में एक महत्वपूर्ण दल रही है। विश्लेषकों का कहना है कि कांग्रेस की हार का मुख्य कारण संगठन में कमजोरियां और स्थानीय मुद्दों को समझने में असफलता थी। पार्टी ने युवाओं और नए मतदाताओं तक अपनी पहुंच बनाने में असफलता दिखाई।

5. गोरखा समर्थक पार्टी (GSP)

GSP ने अपनी एकमात्र सीट बरकरार रखी। पार्टी के नेता हीरा सरनिया ने अपनी सीट पर जीत दर्ज की। GSP का प्रदर्शन स्थिर रहा, लेकिन पार्टी का प्रभाव मुख्यतः कुछ सीमित क्षेत्रों तक ही सीमित है।

 सीटों का सारांश (Summary of seats)

दल का नाम2020 में सीटें2025 में सीटेंबदलाव
UPPL1216+4
BPF179-8
BJP914+5
कांग्रेस10-1
GSP110

चुनाव के प्रमुख कारण (Main reasons for the election)

  1. UPPL का बढ़ता प्रभाव: पार्टी ने स्थानीय युवाओं और महिलाओं को केन्द्र में रखकर अपनी पकड़ मजबूत की।
  2. BPF की गिरावट: पार्टी के भीतर नेतृत्व संकट और रणनीतिक कमजोरी ने इसे कमजोर किया।
  3. BJP का सुधार: राष्ट्रीय स्तर की ताकत और विकासपरक संदेश ने पार्टी को फायदा दिया।
  4. कांग्रेस का पतन: संगठन में कमजोरियां और स्थानीय मुद्दों पर ध्यान न देने की वजह से पार्टी पिछड़ गई।

निवारण (Redressal)

बीटीसी चुनावों के नतीजों के अनुसार, भाजपा और यूपीपीएल निस्संदेह आगे चलकर बोडोलैंड की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएँगे। कांग्रेस और बीपीएफ को अपनी रणनीतियों को संगठित और सुदृढ़ करना होगा। भाजपा और यूपीपीएल के पास अपनी स्थिति सुधारने और समुदाय की माँगों को पूरा करने का मौका है। बीपीएफ और कांग्रेस के अनुसार, केवल प्रचार अभियान ही पर्याप्त नहीं है; इसके बजाय, स्थानीय युवाओं, युवतियों और महिलाओं को ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।