परिचय (Introduction)
Kannan Gopinathan: जब कोई IAS अधिकारी अपनी नौकरी छोड़कर आम जनता की आवाज़ बन जाए, तो वह सिर्फ एक खबर नहीं एक विचार बन जाता है। ऐसा ही कुछ किया कन्नन गोपीनाथन (Kannan Gopinathan) ने, जिन्होंने 2019 में जम्मू-कश्मीर में अभिव्यक्ति की आज़ादी पर रोक के विरोध में अपनी प्रतिष्ठित IAS नौकरी से इस्तीफा दे दिया था। अब, उन्होंने कांग्रेस पार्टी का दामन थामते हुए कहा है कि “सिर्फ कांग्रेस ही देश को सही दिशा में ले जा सकती है।” उनकी यह यात्रा – एक ईमानदार अफसर से एक जागरूक राजनीतिक नेता बनने की – भारतीय लोकतंत्र के मूल्यों की सच्ची कहानी कहती है।
कन्नन गोपीनाथन कौन हैं? (Who is Kannan Gopinathan?)
कन्नन गोपीनाथन 2012 बैच के IAS अधिकारी हैं, जिन्होंने मिज़ोरम कैडर से अपनी सेवा शुरू की थी। केरल में जन्मे गोपीनाथन ने देश के पूर्वोत्तर हिस्से से लेकर गुजरात और दिल्ली तक प्रशासनिक कार्यों में योगदान दिया।
वे उस समय सुर्खियों में आए जब उन्होंने 2018 के केरल बाढ़ आपदा के दौरान राहत कार्यों में अद्भुत समर्पण दिखाया। उन्हें “केरल बाढ़ के हीरो IAS” के नाम से भी जाना जाता है।

कन्नन गोपीनाथन ने इस्तीफा क्यों दिया? (Why did Kannan Gopinathan resign?)
“मैंने इस्तीफा इसलिए दिया क्योंकि मुझे लगा कि जब देश के लोगों की आवाज़ दबाई जा रही है, तो मेरा मौन रहना भी अपराध है।” कन्नन गोपीनाथन, 2019 2019 में जब केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाकर राज्य को केंद्र शासित प्रदेश (UT) बना दिया, तब कन्नन गोपीनाथन ने इसे लोकतांत्रिक अधिकारों पर प्रहार बताया। उन्होंने कहा कि लोगों की आवाज़ और संवाद का अधिकार छीना जा रहा है, और इसके विरोध में उन्होंने IAS से इस्तीफा दे दिया। हालांकि, सरकारी प्रक्रिया के अनुसार उनका इस्तीफा अभी तक औपचारिक रूप से स्वीकार नहीं किया गया है।
कांग्रेस में शामिल होने के पीछे क्या कारण बताया? (What was the reason given for joining Congress?)
नई दिल्ली में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कन्नन गोपीनाथन ने कांग्रेस जॉइन की। इस मौके पर के.सी. वेणुगोपाल, पवन खेड़ा, कन्हैया कुमार, जिग्नेश मेवाणी और आईएएस से नेता बने ससीकांत सेन्थिल भी मौजूद थे।
गोपीनाथन ने कहा —
“2019 में मैंने महसूस किया था कि सरकार देश को गलत दिशा में ले जा रही है। पिछले कुछ सालों में मैंने 80-90 जिलों की यात्रा की, लोगों से बात की और यह समझा कि सिर्फ कांग्रेस ही इस देश को सही दिशा में ले जा सकती है।”
कांग्रेस महासचिव के.सी. वेणुगोपाल ने कहा कि गोपीनाथन जैसे ईमानदार अधिकारी का पार्टी में शामिल होना इस बात का संकेत है कि कांग्रेस अब भी न्याय और संविधान की आवाज़ है।
क्या IAS एक तनावपूर्ण नौकरी है? (Is IAS a stressful job?)
कन्नन गोपीनाथन का उदाहरण इस सवाल का जवाब खुद देता है।
IAS सेवा देश की सबसे प्रतिष्ठित नौकरियों में से एक मानी जाती है, लेकिन यह तनाव, नैतिक दबाव और राजनीतिक हस्तक्षेप से मुक्त नहीं।
कई अधिकारी जैसे कन्नन गोपीनाथन, ससीकांत सेन्थिल, और तानु जैन जैसे नाम, इस नौकरी से जुड़े भावनात्मक और नैतिक संघर्षों को उजागर करते हैं।
कन्नन ने कहा था —
“IAS नौकरी गर्व की बात है, लेकिन जब आप अपनी आत्मा से समझौता करते हैं, तो वह नौकरी बोझ बन जाती है।”
सभी IAS का बॉस कौन होता है? (Who is the boss of all IAS?)
कई लोग यह जानना चाहते हैं कि आखिर IAS अफसर का बॉस कौन होता है?
सरकारी ढांचे के अनुसार, IAS अफसर राज्य में मुख्य सचिव (Chief Secretary) को रिपोर्ट करते हैं, जबकि केंद्र में कैबिनेट सचिव (Cabinet Secretary) उनके सर्वोच्च अधिकारी होते हैं।
लेकिन संविधान के मुताबिक, IAS अधिकारी भारत सरकार के अधीन All India Services का हिस्सा होते हैं, और उनका नियंत्रण केंद्र व राज्य दोनों के बीच साझा होता है।
राजेश गोपीनाथन ने इस्तीफा क्यों दिया? (Why did Rajesh Gopinathan resign?)
यहाँ भ्रम न हो — राजेश गोपीनाथन (पूर्व TCS CEO) और कन्नन गोपीनाथन (पूर्व IAS) दो अलग व्यक्ति हैं।
राजेश गोपीनाथन ने 2023 में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) से इस्तीफा दिया था, जबकि कन्नन गोपीनाथन ने प्रशासनिक सेवा छोड़ी थी।
दोनों ने ही अपने-अपने क्षेत्र में नैतिक और व्यक्तिगत मूल्यों के कारण यह निर्णय लिया।

Who removes IAS officers? (आईएएस अधिकारी को कौन हटा सकता है?)
IAS अधिकारी को हटाने का अधिकार केवल भारत के राष्ट्रपति के पास होता है, वह भी संविधान के अनुच्छेद 311 के तहत।
इस प्रक्रिया में जांच, कारण बताओ नोटिस और केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय (DoPT) की सिफारिश शामिल होती है।
इसलिए, किसी IAS को मनमाने तरीके से नहीं हटाया जा सकता — यह उनकी सेवा की सबसे बड़ी सुरक्षा होती है।
Is IAS really worth it? (क्या IAS सच में इसके लायक है?)
कई युवाओं के लिए IAS नौकरी सपनों की पराकाष्ठा होती है।
लेकिन कन्नन गोपीनाथन जैसे अधिकारी यह दिखाते हैं कि केवल पद और शक्ति नहीं, बल्कि विचार और संवेदनशीलता भी जरूरी है।
गोपीनाथन ने यह साबित किया कि देश सेवा सिर्फ प्रशासन में रहकर नहीं, बल्कि जनता के साथ खड़े होकर भी की जा सकती है।
क्या डॉ. तानु जैन ने IAS छोड़ा? (Did Dr. Tanu Jain quit IAS?)
डॉ. तानु जैन, जो एक प्रसिद्ध UPSC मोटिवेशनल स्पीकर हैं, उन्होंने भी सिविल सेवा छोड़ी है और अब UPSC इंटरव्यू बोर्ड में विशेषज्ञ के रूप में काम करती हैं।
उनका उदाहरण भी बताता है कि IAS अधिकारी अक्सर समाज में योगदान देने के नए रास्ते चुनते हैं — कभी सिस्टम के अंदर से, तो कभी बाहर से।
कन्नन गोपीनाथन की आवाज़ – “अब वक्त है खामोशी तोड़ने का (Kannan Gopinathan’s voice – “Now is the time to break the silence”)
प्रेस कॉन्फ्रेंस में गोपीनाथन ने कहा —
“हम ऐसे दौर में हैं जहां सवाल पूछने वाला ‘देशद्रोही’ कहलाता है। मैंने समझा कि अब सिर्फ बोलने की नहीं, संगठित होकर लड़ने की ज़रूरत है। कांग्रेस ने वह मंच दिया है।”
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा —
“गोपीनाथन जी ने उस दौर में आवाज़ उठाई जब बोलना लगभग असंभव था। वे हमारे लोकतंत्र के सच्चे प्रहरी हैं।”
“न्याय, समानता और संविधान” – कांग्रेस की नई दिशा(Justice, Equality and Constitution – New Direction of Congress)
कांग्रेस ने गोपीनाथन के आने को “लोकतंत्र की रक्षा के लिए एक नैतिक ऊर्जा” बताया।
के.सी. वेणुगोपाल ने सोशल मीडिया पर लिखा —
“हम स्वागत करते हैं कन्नन गोपीनाथन जी का — एक साहसी, लोकतांत्रिक और संवेदनशील नागरिक का। उनकी मौजूदगी हमारी संविधान-रक्षा की लड़ाई को और मजबूत करेगी।”
जनता के बीच चर्चा – क्या कन्नन की एंट्री से कांग्रेस को नई पहचान मिलेगी? (Public discussion: Will Kannan’s entry give Congress a new identity?)
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि गोपीनाथन की एंट्री कांग्रेस के लिए एक नैतिक पुनर्जागरण की तरह है।
जहां राजनीति अक्सर सत्ता के समीकरणों से चलती है, वहीं गोपीनाथन जैसी आवाज़ें इसे विचार और आदर्शों की लड़ाई में बदल देती हैं।
लोग सोशल मीडिया पर कह रहे हैं —
“कन्नन गोपीनाथन जैसे ईमानदार अफसरों को राजनीति में देखकर भरोसा लौटता है कि अब भी सच्चे लोग हैं जो बदलाव चाहते हैं।”
निवारण (Redressal)
कन्नन गोपीनाथन की कहानी सिर्फ एक IAS के इस्तीफे की नहीं है — यह उस इंसान की कहानी है जिसने सत्ता के डर से ऊपर उठकर लोकतंत्र की सच्ची आवाज़ बनने का निर्णय लिया। आज जब उन्होंने कांग्रेस पार्टी का हिस्सा बनकर कहा कि “यह देश संविधान से चलेगा, व्यक्तियों से नहीं,” तो यह एक संदेश है —
कि लोकतंत्र तब तक जिंदा है, जब तक सच बोलने वाले लोग मौजूद हैं।