रचनात्मक भूमिका (Creative Intro)
Karva Chauth 2025 Vrat Katha: करवा चौथ — यह एक व्रत से कहीं बढ़कर है; यह हर विवाहित स्त्री के लिए सबसे प्यारी, सबसे पवित्र भावना का प्रतीक है। साल में एक बार ऐसा दिन आता है जब चाँद न सिर्फ़ आसमान में, बल्कि हर स्त्री के दिल में भी चमकता है। लाल साड़ी, हाथों में सजी मेहँदी, माथे पर बिंदी और छलनी से अपने जीवनसाथी के चेहरे को निहारना—यह छवि हर भारतीय परिवार की भावनाओं में गहराई से समाई हुई है। इस साल करवा चौथ शुक्रवार, 10 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा। विवाहित महिलाएँ अपने पति की दीर्घायु और शाश्वत सुख की कामना के लिए व्रत रखती हैं, जबकि अविवाहित महिलाएँ मनचाहा पति पाने के लिए ऐसा करती हैं।
करवाचौथ के व्रत की कहानी क्या है? (What is the story behind the Karva Chauth fast?)
करवाचौथ की कथा की शुरुआत भगवान शिव और माता पार्वती से होती है। जब माता पार्वती ने भगवान शिव से इस व्रत का महत्व पूछा, तब उन्होंने कहा कि यह व्रत अखंड सौभाग्य प्रदान करने वाला है। बाद में, द्वापर युग में भगवान कृष्ण ने द्रौपदी को इस व्रत की महिमा सुनाई थी।
महाभारत युद्ध से पहले जब अर्जुन तपस्या के लिए नीलगिरी पर्वत चले गए और काफी समय तक नहीं लौटे, तब द्रौपदी चिंतित हो गईं। उन्होंने भगवान कृष्ण से उपाय पूछा, तब कृष्ण ने उन्हें करवाचौथ का व्रत रखने का सुझाव दिया। द्रौपदी ने विधिपूर्वक व्रत किया और अर्जुन सकुशल लौट आए।

करवा चौथ व्रत कथा (Karwa Chauth Vrat Katha)
एक नगर में एक साहूकार की सात बहुएं और एक बेटी थी। सभी ने करवाचौथ का व्रत रखा। रात्रि में जब सब बहुएं भूखी-प्यासी बैठी थीं, तब भाइयों ने अपनी बहन से कहा, “बहन! भोजन कर लो।”
बहन ने कहा, “अभी चाँद नहीं निकला है।”
भाइयों ने सोचा कि बहन भूख से परेशान है, तो उन्होंने नगर से बाहर जाकर अग्नि जलाकर छलनी के पीछे उसका प्रकाश दिखाया और कहा, “देखो बहन! चाँद निकल आया है।”
भाभियों ने बहन को समझाया कि यह चाँद नहीं, बल्कि आग की रोशनी है। परंतु बहन ने उनकी बात नहीं मानी और अर्घ्य देकर भोजन कर लिया।
इससे गणेश जी अप्रसन्न हो गए। उसका पति बीमार पड़ गया और धीरे-धीरे घर की संपत्ति भी नष्ट होने लगी। तब बहन को अपनी गलती का अहसास हुआ। उसने पश्चाताप करते हुए पूरे नियम-विधान से पुनः करवाचौथ का व्रत किया।
उसकी श्रद्धा और भक्ति देखकर गणेश जी प्रसन्न हुए और उसके पति को जीवनदान दिया। तभी से करवाचौथ व्रत में छल-कपट से बचकर श्रद्धा के साथ पूजा करने की परंपरा चली आ रही है।
चाँद की पूजा क्यों की जाती है? (Why is the moon worshipped?)
करवाचौथ के दिन चाँद को “सौभाग्य और प्रेम का प्रतीक” माना जाता है। चंद्रमा को शांत, सौम्य और दीर्घायु का दाता कहा गया है। यही कारण है कि महिलाएं व्रत के बाद चाँद को अर्घ्य देकर अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं।
मान्यता है कि चाँद को देखने से मन की शुद्धि होती है और वैवाहिक जीवन में प्रेम व स्थायित्व बढ़ता है।
क्या करवाचौथ पर बाल धो सकते हैं? (Can I wash my hair on Karwa Chauth?)
परंपरा के अनुसार, करवाचौथ के दिन सूर्योदय से पहले स्नान करना शुभ माना जाता है। एक बार पूजा के बाद बाल धोना या स्नान करना वर्जित होता है। इसलिए महिलाएं सुबह 4 से 5 बजे के बीच स्नान कर लेती हैं और फिर व्रत आरंभ करती हैं।
करवा चौथ का पूरा नाम क्या है? (What is the full name of Karwa Chauth?)
“करवा चौथ” का अर्थ है —
- ‘करवा’ यानी मिट्टी का पात्र (घड़ा)
- ‘चौथ’ यानी चतुर्थी तिथि
यह व्रत कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को किया जाता है, इसलिए इसे करवा चौथ कहा जाता है।
चौथ माता की कहानी क्या है? (What is the story of Chauth Mata?)
चौथ माता को व्रत की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है। कहा जाता है कि माता पार्वती ने जब पहली बार यह व्रत किया था, तो भगवान शिव ने उन्हें आशीर्वाद दिया था कि जो भी नारी इस दिन व्रत रखेगी और श्रद्धा से पूजा करेगी, उसे अखंड सौभाग्य का वरदान मिलेगा।
इसी कारण महिलाएं गौरी माता, गणेश जी, कार्तिकेय और चंद्रमा की पूजा करती हैं।
करवाचौथ के दिन कितने बजे नहाना चाहिए? (At what time should one take bath on the day of Karva Chauth?)
करवाचौथ के दिन स्नान का शुभ मुहूर्त सुबह ब्रह्म मुहूर्त (4:00 से 6:00 बजे) तक माना जाता है। इसी समय महिलाएं सरगी खाकर व्रत आरंभ करती हैं। इसके बाद पूरे दिन निर्जला उपवास रखा जाता है।
करवाचौथ के बाद मिट्टी के करवा का क्या करना चाहिए? (What should be done with the clay pot after Karva Chauth?)
पूजा के बाद मिट्टी के करवे (घड़े) को गृहस्थ देवता के पास रखकर अगले दिन विसर्जन किया जाता है। कई जगहों पर महिलाएं उसे पीपल के पेड़ या किसी पवित्र स्थान पर रख देती हैं। इससे व्रत की पूर्णता मानी जाती है।

करवाचौथ के दिन कौन से रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिए? (Which color clothes should not be worn on Karva Chauth?)
इस दिन काले, नीले और भूरे रंग के कपड़े पहनना अशुभ माना गया है।
सबसे शुभ माने जाते हैं:
- लाल
- गुलाबी
- सुनहरा
- पीला
क्योंकि ये रंग सौभाग्य और समृद्धि के प्रतीक हैं।
करवाचौथ कथा के बाद करवा का क्या करना चाहिए? (What should be done with Karva after Karva Chauth Katha?)
कथा के बाद महिलाएं करवा (मिट्टी का घड़ा) अपने ससुराल और मायके दोनों के आशीर्वाद के प्रतीक रूप में उपयोग करती हैं। पूजा के बाद करवा को घर में संभाल कर रखा जा सकता है या किसी मंदिर में अर्पित किया जा सकता है।
करवाचौथ का रहस्य क्या है? (What is the secret of Karva Chauth?)
करवाचौथ सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि प्यार, विश्वास और त्याग का प्रतीक है। इस व्रत का रहस्य यह है कि यह पति-पत्नी के बीच के आध्यात्मिक बंधन को मजबूत करता है। यह आत्मसंयम, भक्ति और निष्ठा का पर्व है।

करवाचौथ के व्रत में क्या खाया जाता है? (What is eaten during the Karva Chauth fast?)
सुबह सरगी में ये चीजें खाई जाती हैं —
- फेनिया या सेवईं
- सूखे मेवे
- नारियल
- फल
- मिठाई
- दूध
व्रत के बाद चाँद निकलने पर अर्घ्य देकर महिलाएं पति के हाथों से पानी और मिठाई खाकर व्रत खोलती हैं।
Karwa Chauth Katha Timing 2025
- तिथि: 10 अक्टूबर 2025, शुक्रवार
- चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 10 अक्टूबर, सुबह 6:16 बजे
- चतुर्थी तिथि समाप्त: 11 अक्टूबर, सुबह 4:39 बजे
- चंद्र दर्शन का अनुमानित समय: रात 8:02 बजे
Karwa Chauth 2025 Katha
“जो स्त्री सच्चे मन से करवाचौथ का व्रत करती है, उसका सौभाग्य अखंड रहता है। भगवान गणेश और माता गौरी उसकी हर मनोकामना पूरी करते हैं।”
भगवान शिव ने माता पार्वती से कहा था —
“हे गौरी! जो स्त्री यह व्रत श्रद्धा और नियम से करेगी, वह सौभाग्यवती होगी और उसके परिवार में सुख–समृद्धि का वास रहेगा।”
निष्कर्ष (Conclusion)
करवा चौथ का त्यौहार स्त्री के अटूट प्रेम, निष्ठा और विश्वास का प्रतीक है। यह भारतीय संस्कृति का उत्सव है। इस दिन का हर पल एक संदेश देता है—कि प्रेम केवल साथ रहने से कहीं बढ़कर है; इसमें दूर रहकर भी एक-दूसरे की भलाई के लिए प्रार्थना करना शामिल है। 2025 में करवा चौथ के दौरान, छलनी से चाँद को देखते हुए, अपने पति की दीर्घायु और अपने रिश्ते की खुशहाली के लिए प्रार्थना करें।