परिचय (Introduction)
Make In India Gets Wings: अब भारतीय आसमान में सिर्फ़ विदेशी विमानों का ही दबदबा नहीं रहेगा – अब “मेड इन इंडिया” जेट भी शान से ऊंचाइयों पर पहुंचेंगे। HAL (हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड) और UAC (रूस की यूनाइटेड एयरक्राफ्ट कॉर्पोरेशन) ने मिलकर एक बड़ा कदम उठाया है। इस कदम से भारत एक ऐसे भविष्य की ओर बढ़ रहा है जिसमें वह विदेशी सोर्स पर निर्भर हुए बिना “स्पेसक्राफ्ट” और “पैसेंजर एयरक्राफ्ट” दोनों का प्रोडक्शन करेगा। सोमवार को मॉस्को में साइन हुए MoU के मुताबिक, HAL और UAC भारत में SJ-100 सुखोई सुपरजेट का प्रोडक्शन करेंगे, जो भारत की मेक इन इंडिया पहल में एक नया दौर शुरू करेगा।
भारत में बनेगा सुखोई सुपरजेट-100 (SJ-100) (The Sukhoi Superjet-100 (SJ-100) will be manufactured in India.)
पहली बार भारत में एक पूरा पैसेंजर एयरक्राफ्ट बनाया जाएगा। HAL ने 1961 में AVRO HS-748 एयरक्राफ्ट बनाया था, जिसका प्रोडक्शन 1988 तक चला था। SJ-100 एक ट्विन-इंजन नैरो-बॉडी जेट है, जिसके 200 से ज़्यादा यूनिट्स दुनिया भर में बन चुके हैं और यह 16 से ज़्यादा एयरलाइंस के साथ ऑपरेशन में है। भारत में इस एयरक्राफ्ट के प्रोडक्शन से देश की UDAN स्कीम (उड़े देश का आम नागरिक) को बढ़ावा मिलेगा। यह जेट छोटे शहरों के बीच कनेक्टिविटी में क्रांति ला सकता है और रीजनल एयर कनेक्टिविटी को बेहतर बना सकता है।

HAL-UAC साझेदारी क्यों खास है? (Why is the HAL-UAC partnership special?)
इस साझेदारी के बाद भारत न सिर्फ कंपोनेंट्स असेंबल करेगा बल्कि पूरे पैसेंजर जेट का निर्माण करेगा। यह आत्मनिर्भर भारत के लिए सिविल एविएशन सेक्टर का क्रांतिकारी कदम है।
HAL ने अपने बयान में कहा:
“सुखोई सुपरजेट-100 का निर्माण भारतीय एविएशन इंडस्ट्री के लिए एक नया अध्याय है। यह ‘आत्मनिर्भर भारत’ के सपने की दिशा में बड़ा कदम है।”
अगले 10 वर्षों में भारत को करीब 200 रीजनल जेट्स की जरूरत होगी। इसके अलावा, भारतीय महासागर क्षेत्र में पर्यटन मार्गों के लिए 350 और विमान की मांग का अनुमान है।
सुखोई सुपरजेट 100 सुरक्षित है? (Is the Sukhoi Superjet 100 Safe?)
सुखोई सुपरजेट-100 का सुरक्षा रिकॉर्ड मिश्रित रहा है, लेकिन हाल के वर्षों में इसमें काफी सुधार देखने को मिला है।
शुरुआती वर्षों में (2010-2014) कुछ तकनीकी समस्याएँ और एक दुर्घटना दर्ज की गई थीं। लेकिन बाद में रूस की UAC ने सिस्टम अपग्रेड और इंजन विश्वसनीयता पर खास ध्यान दिया।
आज यह विमान कई यूरोपीय और एशियाई देशों में सुरक्षित रूप से उड़ान भर रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, इसका आधुनिक एवियोनिक्स सिस्टम और ऑटो-पायलट तकनीक इसे सुरक्षा के लिहाज से मजबूत बनाती है।
100 का उपयोग करती हैं? (Which Airlines Use Sukhoi Superjet 100?)
वर्तमान में 16 से अधिक एयरलाइन्स सुखोई सुपरजेट 100 का संचालन करती हैं। इनमें प्रमुख हैं:
- Azimuth Airlines (Russia)
- Yakutia Airlines (Russia)
- Interjet (Mexico) – शुरुआती विदेशी उपयोगकर्ता
- Thai Kom Airlines (Thailand)
- Air Manas (Kyrgyzstan)
- IrAero Airlines (Russia)
भारत में HAL और UAC की साझेदारी के बाद उम्मीद है कि भारतीय एयरलाइन्स भी SJ-100 को घरेलू रूट्स पर अपनाएंगी।
सफलतापूर्वक किया है? (Has Russia Successfully Tested the Domestically Built SJ-100?)
जी हाँ, अगस्त 2024 में रूस ने पूरी तरह घरेलू रूप से बने SJ-100 का सफल परीक्षण किया था।
इस विमान में अब कोई भी विदेशी कंपोनेंट नहीं था — इंजन से लेकर नेविगेशन सिस्टम तक सब कुछ “मेड इन रशिया” था।
यह परीक्षण रूस की स्वदेशी एविएशन तकनीक के लिए बड़ा माइलस्टोन था। और अब भारत में इसी अनुभव का लाभ उठाकर HAL, भारतीय संस्करण तैयार करेगा।
सुखोई सुपरजेट 100 के प्रतियोगी कौन हैं? (Competitors of Sukhoi Superjet 100)
SJ-100 का मुकाबला दुनिया के कुछ प्रमुख रीजनल जेट्स से है:
- Embraer E-Jet Series (ब्राज़ील)
- Airbus A220 (यूरोप)
- Mitsubishi SpaceJet (जापान)
- COMAC ARJ21 (चीन)
हालांकि कीमत और संचालन लागत के मामले में SJ-100 को सस्ता और अधिक ईंधन कुशल माना जाता है, जिससे छोटे और मध्यम स्तर की एयरलाइन्स के लिए यह बेहतर विकल्प बनता है।
क्या सुपरजेट 100 उड़ने में सहज है? (Is Superjet 100 Easy to Fly?)
पायलट रिपोर्ट्स के अनुसार, SJ-100 का कॉकपिट डिजाइन अत्याधुनिक है।
- इसमें “फ्लाई-बाय-वायर” सिस्टम है जो उड़ान को आसान बनाता है।
- कम मेंटेनेंस कॉस्ट और बेहतर मैन्युवर कंट्रोल के कारण इसे उड़ाना काफी आरामदायक माना जाता है।
- इसकी रेंज लगभग 3,000 किमी है, जो घरेलू और अंतर-राज्यीय उड़ानों के लिए पर्याप्त है।
HAL का मानना है कि भारत में निर्मित संस्करण में भारतीय जलवायु और भौगोलिक परिस्थितियों के अनुरूप अपग्रेड शामिल होंगे।

कौन बेहतर है — सुखोई या एफ–सीरीज़? (Which Is Better: Sukhoi or F?)
यह तुलना दो अलग-अलग श्रेणियों की है।
- Sukhoi Superjet 100 एक कॉमर्शियल पैसेंजर जेट है।
- जबकि F-Series (जैसे F-16, F-35) लड़ाकू विमान (Fighter Jets) हैं।
तकनीकी दृष्टि से दोनों की भूमिकाएँ पूरी तरह अलग हैं — एक यात्री सुविधा के लिए बना है, दूसरा सुरक्षा और युद्ध के लिए।
फिर भी, रूस का सुखोई ब्रांड अपने डिजाइन, स्थिरता और एयरोडायनैमिक्स के लिए विश्वप्रसिद्ध है।
एफ-35 दुर्घटनाग्रस्त क्यों रहता है? (Why Does the F-35 Crash Frequently?)
F-35 दुनिया का सबसे उन्नत स्टील्थ फाइटर जेट माना जाता है, लेकिन इसकी जटिल तकनीक के कारण इसमें बार–बार तकनीकी गड़बड़ियाँ सामने आई हैं।
अक्सर दुर्घटनाओं के कारण रहे हैं:
- सॉफ्टवेयर फेल्योर
- इंजन ओवरहीटिंग
- कम फ्लाइट विजिबिलिटी
- हाई–मेन्टेनेंस लागत
इसके मुकाबले, सुखोई सुपरजेट एक कम जटिल सिविल विमान है, जिसका मेंटेनेंस अपेक्षाकृत सरल है।
दुनिया का सबसे खराब विमान कौन सा है? (What Is the Crappiest Plane?)
यह राय व्यक्तियों पर निर्भर करती है, लेकिन एविएशन इतिहास में कुछ विमानों को असफल डिज़ाइन या बार–बार दुर्घटनाओं के कारण आलोचना झेलनी पड़ी:
- McDonnell Douglas DC-10 (1970s) – शुरुआती वर्षों में कई दुर्घटनाएँ
- Comet Jetliner (UK) – पहला जेटliner, लेकिन प्रेशर फेल्योर के कारण कुख्यात
- Boeing 737 MAX – दो घातक दुर्घटनाओं के बाद अस्थायी रूप से ग्राउंड किया गया
इन घटनाओं ने वैश्विक एविएशन इंडस्ट्री को सुरक्षा पर अधिक ध्यान देने के लिए प्रेरित किया — और यही वजह है कि आज का SJ-100 एक बेहतर मॉडर्न एयरक्राफ्ट स्टैंडर्ड का उदाहरण है।

Make in India और आत्मनिर्भर भारत को कैसे मिलेगी उड़ान? (How will Make in India and Atmanirbhar Bharat get off the ground?)
HAL और UAC की साझेदारी से भारत में न सिर्फ विमान बनेंगे, बल्कि:
- स्थानीय पार्ट्स मैन्युफैक्चरिंग
- नए रोजगार के अवसर
- प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी
- अंतरराष्ट्रीय एविएशन सप्लाई चेन में भारत की भूमिका
सब कुछ बढ़ेगा।
यह प्रोजेक्ट आने वाले वर्षों में भारत को एविएशन हब के रूप में स्थापित कर सकता है।
निवारण (Redressal)
भारत की नई उड़ान: भारत अब सिर्फ आसमान में उड़ने के सपने देखने से आगे बढ़ गया है; अब वह एक्टिव रूप से अपने एविएशन फ्यूचर को बना रहा है। HAL और रूस की UAC का कोलैबोरेशन भारत को सिविल एविएशन में आत्मनिर्भर बनाएगा। भविष्य में, सुखोई सुपरजेट-100 का इंडियन वेरिएंट भारतीय यात्रियों और भारत की टेक्नोलॉजिकल ताकत का प्रतीक बन सकता है। भारत अब सच में यह कह सकता है, “हम अपने खुद के एयरक्राफ्ट बनाएंगे और उन्हें खुद ही उड़ाएंगे।”