परिचय (Introduction)
Supreme Court’s Big Decision Before Diwali:भारत का सबसे बड़ा त्योहार दिवाली है संस्कृत का सबसे बड़ा चमकीला उत्सव भी है हर घर में दीपक चलते हैं मिठाइयों के खुशबू फैलते हैं आसमान में होती है लेकिन दिवाली चमक के साथ एक चिंता भी जोड़ी गई सुप्रीम कोर्ट ने इस बार दिवाली से पहले कहा अब एनसीआर में जरूरी दी गई है और हम बताते हैं आपको दिवाली कौन-कौन से पटाखे बंद करें सुप्रीम कोर्ट ने जानकारी देते हैं आपको यहां पर
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी: पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध व्यावहारिक नहीं (SC Says Complete Ban Not Practical)
शुक्रवार को, सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध न तो संभव है और न ही इष्टतम। मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई ने टिप्पणी की, “हम लोगों की भावनाओं को समझते हैं; हालाँकि, पर्यावरण की सुरक्षा भी महत्वपूर्ण है। इसलिए, एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाया जाएगा।” न्यायालय ने कहा कि प्रतिबंध के बावजूद लोग अभी भी पटाखे फोड़ रहे हैं, इसलिए एक विनियमित परमिट प्रणाली सख्त आदेश से बेहतर है।

ग्रीन पटाखे क्या हैं? (What Are Green Crackers?)
ग्रीन पटाखे ऐसे कम प्रदूषण वाले आतिशबाजी उत्पाद हैं, जिनमें बेरियम और अन्य हानिकारक रसायनों की मात्रा बहुत कम होती है।
इन्हें NEERI (National Environmental Engineering Research Institute) और PESO (Petroleum and Explosives Safety Organisation) की अनुमति से बनाया जाता है।
इनसे धुआं और आवाज दोनों कम निकलती है, जिससे पर्यावरण को कम नुकसान होता है
दीपावली पर आतिशबाजी कब बंद होती है? (When Does Firework Time End?)
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी तय किया है कि NCR में लोग 18 से 21 अक्टूबर तक ग्रीन पटाखे जला सकेंगे।
- सुबह: 6 बजे से 7 बजे तक
- रात: 8 बजे से 10 बजे तक
इससे ज्यादा समय तक पटाखे फोड़ने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
पटाखे कितने के होते हैं? (What Is the Price of Firecrackers?)
बाजार में पटाखों की कीमत उनके प्रकार पर निर्भर करती है:
- फुलझड़ी और अनार: ₹100 से ₹400
- चकरी, रॉकेट और बॉक्स पैक: ₹500 से ₹1500
- बड़े सेट और कंपोजिट ग्रीन क्रैकर्स: ₹2000 से ₹5000 तक
ग्रीन पटाखे सामान्य से 25–30% महंगे होते हैं क्योंकि इनमें नई तकनीक और सुरक्षित केमिकल्स का उपयोग किया जाता है
पटाखे कहां प्रतिबंधित हैं? (Where Are Crackers Banned?)
भारत में कुछ राज्यों में प्रदूषण के स्तर के आधार पर अस्थायी प्रतिबंध लगाए जाते हैं।
जैसे —
- दिल्ली, नोएडा, फरीदाबाद, गुरुग्राम
- जयपुर, लखनऊ, पटना, चंडीगढ़
इन इलाकों में AQI (Air Quality Index) 300 से ऊपर जाते ही सरकारें बैन लागू करती हैं।
क्या भारत में पटाखे बैन हैं? (Are Crackers Banned in India?)
भारत में पूर्ण प्रतिबंध नहीं है।
सिर्फ कुछ हाई-पॉल्यूशन ज़ोन में सीमित अवधि के लिए रोक लगाई जाती है।
सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा —
“अगर पटाखे बैन करने हैं, तो पूरे देश में करें, सिर्फ दिल्ली में नहीं।”
क्या 1000 वाला पटाखा प्रतिबंधित है? (Is 1000-Wala Cracker Banned?)
जी हां, 1000-वाला लड़ी पटाखा और ऐसे हाई डेसिबल क्रैकर्स को कई राज्यों में बैन किया गया है।
क्योंकि ये ध्वनि प्रदूषण बढ़ाते हैं और कई बार आग लगने या दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं।
श्रेणी 4 आतिशबाजी क्या हैं? (What Are Category 4 Fireworks?)
श्रेणी 4 आतिशबाजी वे होती है जो बड़े सार्वजनिक शो या इवेंट्स में उपयोग की जाती हैं।
इन्हें आम नागरिक नहीं खरीद सकते।
इनका उपयोग केवल लाइसेंस प्राप्त पेशेवर आतिशबाजों द्वारा किया जा सकता है क्योंकि इनमें विस्फोटक शक्ति बहुत ज्यादा होती है।
दिवाली के पटाखे कौन-कौन से हैं? (Types of Crackers for Diwali)
भारत में दीवाली पर कई पारंपरिक प्रकार के पटाखे लोकप्रिय हैं:
- फुलझड़ी – बच्चों की पहली पसंद
- अनार – रंगीन रोशनी से भरपूर
- चकरी – घूमता हुआ आतिशबाज़ी चक्र
- रॉकेट – आसमान में उड़ने वाला पटाखा
- लड़ी पटाखे – आवाज़दार और लगातार चलने वाले
- ग्रीन क्रैकर्स – आधुनिक, कम प्रदूषण वाले
बिना पटाखों की दिवाली कैसे मनाएं? (How to Celebrate Without Crackers?)
अगर आप पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहते तो भी आपकी दिवाली शानदार हो सकती है:
- मिट्टी के दीये जलाएं और LED लाइटों से घर सजाएं।
- बच्चों संग रंगोली प्रतियोगिता करें।
- मिठाइयों, संगीत और खेलों से माहौल खुशनुमा बनाएं।
- पौधे उपहार में दें – “हरित दीवाली, स्वच्छ दीवाली।

भारत में पटाखे कौन सी कंपनी बनाती है? (Which Companies Make Crackers in India?)
भारत के प्रमुख पटाखा निर्माता हैं:
- Standard Fireworks Pvt. Ltd. – शिवकाशी
- Ayyan Fireworks
- Sri Kaliswari Fireworks
- Mehta Pyro Techniques
- Vijay Fireworks Industries
इन कंपनियों को NEERI और PESO से ग्रीन पटाखा बनाने की मंजूरी मिली है।
क्या दिल्ली में पटाखे की अनुमति है? (Are Crackers Allowed in Delhi?)
दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कहा —
“हम पर्यावरण और जनभावनाओं दोनों का सम्मान करते हैं।”
इसलिए 18 से 21 अक्टूबर तक ग्रीन पटाखों की अनुमति दी गई है।
लेकिन केवल तय समयावधि में ही इन्हें चलाया जा सकेगा।
सबसे खतरनाक पटाखे कौन से हैं? (Most Dangerous Crackers)
- 1000 वाला लड़ी
- रॉकेट बम
- एटम बम
- हाइड्रोजन बम
- थंडर किंग्स
इन पटाखों को कई जगहों पर प्रतिबंधित किया गया है क्योंकि ये ध्वनि और धुएं दोनों से प्रदूषण फैलाते हैं।
पटाखे कहाँ बनते हैं? (Where Are Crackers Made?)
भारत के तमिलनाडु के शिवकाशी (Sivakasi) को “फायरवर्क्स कैपिटल ऑफ इंडिया” कहा जाता है।
यहां 800 से ज्यादा फैक्ट्रियां हैं, जो हर साल करोड़ों पटाखे बनाती हैं।
यह उद्योग लाखों लोगों को रोजगार भी देता है।
पटाखे कब छोड़ने चाहिए? (When Should Crackers Be Bursted?)
सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक,
- सुबह: 6 से 7 बजे
- रात: 8 से 10 बजे
के बीच ही पटाखे चलाए जा सकते हैं।
इसके बाहर पटाखा जलाने पर जुर्माना और कार्रवाई तय की गई है।
सुप्रीम कोर्ट का संदेश: संतुलन ही समाधान (Court’s Message: Balance Is Key)
मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने कहा —
“हम न तो खुशियों पर ताला लगाना चाहते हैं, न पर्यावरण को नुकसान पहुंचाना।
हमें ऐसा रास्ता चुनना होगा जिसमें दोनों सुरक्षित रहें।”
उन्होंने कहा कि कोर्ट का उद्देश्य है कि दीपावली “शांति और पर्यावरण सुरक्षा” दोनों का प्रतीक बने।

AQI और प्रदूषण की स्थिति (Air Quality Status)
दिल्ली-NCR में फिलहाल AQI 211 तक पहुंच गया है, जो “खराब” श्रेणी में आता है।
CAQM (Commission for Air Quality Management) ने GRAP-1 लागू किया है ताकि प्रदूषण पर नियंत्रण पाया जा सके।
धूल नियंत्रण, कचरा जलाने पर रोक और सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने जैसे कदम उठाए जा रहे हैं।
निवारण (Redressal)
इस साल की दिवाली सिर्फ़ रोशनी का ही नहीं, बल्कि ज़िम्मेदारी का भी त्योहार होगी।सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने स्थिति स्पष्ट कर दी है: “उत्सव मनाना एक अधिकार है, लेकिन हवा की रक्षा करना एक ज़िम्मेदारी है।”इस दिवाली, प्रदूषण फैलाने के बजाय, दीपों से रोशनी करें। पर्यावरण-अनुकूल पटाखों के साथ मनाएँ – एक स्वच्छ, सुरक्षित और आनंदमय दिवाली के लिए!